रांची : लोकमंथन कार्यक्रम के अंतर्गत आज खेलगांव में भारत दर्शन प्रदर्शनी का उद्घाटन झारखंड विधान सभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव,पद्मश्री यशोधर मठवाल,पद्मश्री अशोक भगत, पद्मश्री सीमोन उरांव, ने भव्य समारोह में किया।
लोकमंथन के भारत दर्शन प्रदर्शनी का उद्घाटन समारोह में लोगों को संबोधित करते हुए विधान सभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने कहा -"कि झारखंड के पावन धरती पर इस कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है, यह गर्व की बात है। झारखंड के वैभव की भी प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में भारत के शहीदों की भी प्रदर्शनी लगाई गई है।यहां भारत के चुनौतियों पर भी चर्चा की जाएगी। भारत के विकास के लिए लोक मंथन कार्यक्रम में मंथन के बाद निकलने वाले निष्कर्ष से देश को भविष्य में फायदा पहुंचेगा। पद्मश्री यशोधर मठवाल ने कहा कि भारत में साहित्यिक परंपरा और लोक परंपरा अभी भी जीवित है। मध्य भारत मे सबसे अधिक जनजाति रहती है और आज तक कभी ऐसा नही हुआ है कि जनजाति और सामान्य जाति में कभी मनमुटाव हुआ हो। इसका उल्लेख रामायण में भी है। यह एक अच्छी शुरुवात है कि हम एक हो कर आपस मे ज्ञान विज्ञान का आदान प्रदान कर रहे हैं। लोकमंथन इसके लिए एक मंच दे रहा है। उन्होंने कार्यक्रम में आए छात्रों को कहा कि ज्ञान का पहला मंत्र है विनम्र होना।विनम्रता से ज्ञान की प्राप्ति होती है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि हम सब अपने आपस के बैर को भुला कर एक भारत के निर्माण का प्रयास करें । पद्मश्री अशोक भगत ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड के गर्व मे रत्न भरे पड़े हैं। यहां की संस्कृति यहां की परंपरा किसी रत्न से कम नहीं है। उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा समाज एक है। जनजाति हमारा अंश है। हम सभी संस्कृति और साहित्यिक रूप से भी जुड़े हुए हैं। लोकमंथन के इस प्रदर्शनी में एक भारत श्रेष्ठ भारत के दर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनी में पहले झारखंड में व्याप्त गरीबी, शोषण आदि को दिखाया जाता था लेकिन अब स्थिति अलग है। हमारे जनजाति भाई बहन प्रगति कर रहे हैं और राज्य एवम देश का विकास कर रहे हैं। पद्मश्री सिमोन उरांव ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान ने आकाश, पृथ्वी का निर्माण किया और इंसान ने इन सब का दुरुपयोग किया। आज सभी प्राकृतिक संपदा का विनाश किया जा रहा है। जल सभी की जरूरत है। इंसान और जानवर सभी का जल पर समान अधिकार है। 8 से 4 बजे तक काम करें। उसके बाद देश के लिए काम करें। पृथ्वी से जल का संसाधन कम हो रहा है। पहले जहां 10 फ़ीट पर पानी मिलता था आज 70 से 200 फ़ीट पर पानी मिल रहा है। जल है तो अन्न है, जन है। आज तक कहीं भी पानी और अन्न का कारखाना नहीं खुला है, जब कि विज्ञान मंगल ग्रह तक पहुंच गया है। आज किसान के लिए कोई नहीं सोच रहा है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जगलाल पहान ने कहा कि लोकमंथन के इस प्रदर्शनी से युवाओं को भारत को समझने और जानने का मौका मिलेगा। अपने इतिहास को जानने से ही हम बेहतर कल का निर्माण कर सकेंगे। उन्होंने मंच से सभी युवाओ को लोकमंथन कार्यक्रम में भाग लेने का आग्रह किया।कला संस्कृति मंत्री अमर कुमार बाउरी ने कहा कि यह कार्यक्रम भारत बोध का है। क्या हम सभी भारत को जानते हैं और अगर हम भारत को जान जाएंगे तो हमे अपने देश पर गर्व करेंगे और यहां व्याप्त हीन भावना स्वतः ही समाप्त हो जाएगी। लोकमंथन में कर्मशील, साहित्यिक, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री आदि विशेषज्ञों का समागम हो रहा है। उन्होंने साइमन उरांव का उदाहरण देते हुए कहा कि वे बिना किसी डिग्री के अपने अनुभव से लोगों को जागरूक कर रहे हैं। कला संस्कृति मंत्री ने नई पीढ़ी से आग्रह किया कि वे भारत को जाने और जब वे भारत को जान जाएंगे तो भारत को विखंडित करने वाली शक्ति स्वतः ही दूर हो जाएगी।भारत दर्शन प्रदर्शनी प्रमुख आशीष आनन्द और उनकी टीम की मेहनत को लोगो ने काफी सराहा।मंच संचालन श्री अटल पांडेय ने किया। उद्घाटन समारोह में सांस्कृतिक कार्यकम का आयोजन भी किया गया।एकांकी जिसके पटकथा और निर्देशन श्री अजित जी और सुश्री गुड़िया जी ने की लोगो को काफी आकर्षित किया।प्रदर्शनी स्थल पर झारखंडी संस्कृति के नृत्य गीत समा बांधे रखा।इस अवसर पर अनेक स्कूल कॉलेज के सैकड़ो विद्यार्थी सहित नगर के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।