वामपंथी एवं चर्च से गुमराह हुए कुछ लोगों के कारण जनजाति समाज हुआ बदनाम
वनवासी कल्याण केंद्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव राम उरांव ने महाराष्ट्र के पालघर में दो संतों एवं उनके चालक की हुई हत्या की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की ।
रांची , 23 अप्रैल : वनवासी कल्याण केंद्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव राम उरांव ने महाराष्ट्र के पालघर में संत कल्पवृक्ष गिरी, महंथ सुशील गिरी व उनके वाहन चालक निलेश तेलगङे की हत्या की निंदा करते हुए कहा है कि भारतीय समाज सदा से ही सन्यासियों का सत्कार और आदर करता रहा है। जनजातीय समाज ने तो हमेशा से ही संत महात्मा व ऋषि मुनियों की श्रद्धा के साथ सेवा की है। तभी तो वेद, पुराण, उपनिषद जैसे कालजई ग्रंथों की रचना वनों में की जा सकी। महाराष्ट्र में दो संतों की जो निर्मम हत्या की गई उसमें वामपंथी एवं चर्च से गुमराह हुए कुछ लोग शामिल है। इन लोगों के कारण ही आज संपूर्ण जनजाति समाज बदनाम हुआ है। परंतु इस घटना से संपूर्ण जनजाति समाज को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अपराधियों की शीघ्र से शीघ्र कठोर दंड दिया जाए और पूरी घटना की सीबीआइ जांच कराई जाए ताकि घटना के पीछे से छिपे समाज के विरोधी तत्वों की वास्तविकता लोगों के सामने आ सके। जगदेव उरांव ने कहा कि सनातन जीवन मूल्यों में इस देश की जड़ों को सदैव ही सींचने का काम अनेक संत महात्माओं ऋषि-मुनियों ने किया है । भारत की धरती संतों की धरती है । संत वन पर्वत में रहकर साधना करते हैं और उनकी साधना एवं सेवा में जनजातीय समाज सदैव तत्पर रहता है । जो उनके संस्कार व्यवहार परंपराओं में आज भी दिखाई देता है । महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करने वाला जनजाति समाज भारतीय स्वतंत्र समर में प्राणों की आहुति चढ़ा देने वाला समाज संतो को पीट-पीटकर मार डालने वाले अविश्वसनीय कार्य नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि जनजाति क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द और शांति नष्ट करने की एक बड़ी साजिश लगती है। यह एक विचारणीय विषय है कि आखिर यह कौन से तत्व है जो जनजाति समाज को भ्रमित कर उसके रहन-सहन स्वभाव के विपरीत साधु-संतों के और भगवा के प्रति नफरत का विष घोल रहे हैं।