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रांची, 18 नवम्बर  2018 : हिन्दू जागरण मंच व विश्व सनातन सेना के संयुक्त तत्वाधान में राज्यपाल भवन राँची के समक्ष प्रातः 10 से संध्या 4 बजे तक एक दिवसीय उपवास धरना का आयोजन किया गया।आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने व इस मांग को लेकर गाजियाबाद में एक नवंबर से आमरण अनशन पर बैठे अखिल भारतीय संत परिषद यति नरसिंहानंद सरस्वती जी का समर्थन करना है।
Bharat VSK 18 11 18 उपवास धरना के दौरान बताया गया कि यह सर्वविदित है कि हमारे प्रिय देश भारत में बढ़ती जनसँख्या एक भयानक रुप ले चुकी है ? जिससे देश में विभिन्न धार्मिक जनसँख्या अनुपात निरंतर असंतुलित हो रहा है । इससे भविष्य में बढ़ने वाले अनेक संकटों का क्या हमको कोई ज्ञान है ? क्या हम अपने अस्तित्व पर आने वाले संकट के प्रति सतर्क है ?  लोकतांत्रिक देश में चुनावी व्यवस्था के आधार पर राष्ट्र की राज्य व्यवस्था का गठन होता है और उसमें सम्मलित होने के लिए देश के समस्त नागरिकों को एक समान अधिकार होता हैं । कहने को यह एक सामान्य विषय बिंदू है । परंतु एक विशेष सम्प्रदाय के कुछ लोग निरंतर अपनी जनसँख्या बढ़ाते हुए देश में अनेक राष्ट्रीय व सामाजिक समस्याओं को बढ़ा रहें हैं । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिंदू जागरण मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री सुमन कुमार ने इस सम्बंध में कहा कि " यह सत्य किसी से छिपा नही है कि जब 1947 में पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रो में मुस्लिम बहुसंख्यक हुए तो देश का विभाजन हुआ था। इसप्रकार जनसंख्या बल के दुष्प्रभाव व तत्कालीन राजनीति से धर्म के आधार पर देश विभाजित हुआ। लेकिन क्या वह स्थिति पुनः बनें उससे पूर्व ऐसे षड्यंत्रकारियों के प्रति सावधान होना आवश्यक नही होगा ? क्या यह अनुचित नही कि जहां जहां मुस्लिम संख्या बढ़ती जाती हैं वहां वहां उनके द्वारा साम्प्रदायिक दंगे भड़काने से वहां के मूल निवासी पलायन करने को विवश हो जाते हैं ?  तत्पश्चात वहां केवल मुस्लिम बहुल बस्तियां होने के कारण उनमें अनेक अलगाववादी व आतंकवादी मानसिकता पनपने लगती हैं।" इसके अतिरिक्त उन्होनें कहा कि भारत बचाना है तो जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना होगा ।  
बड़ी तेजी से बढ़ती जनसंख्या भारत के सुरक्षा के लिए भारी खतरा है। अगर देश को बचाना है तो बिना देर किए सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानून लाया जाना चाहिए। प्रश्न सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण का नहीं है प्रश्न तो इस तथ्य पर है कि किसी एक वर्ग,मजहब विशेष लोगों का केवल जनसंख्या में भारी वृद्धि हो रही है। इससे सामाजिक असंतुलन बढ़ गया है। देश में कई ऐसे राज्य हैं जहां जनसंख्या के बल पर बहुसंख्यक होकर वर्ग विशेष के लोग संख्या बल से हिंसा और उत्पात कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल केरल और असम इसका ज्वलन्त उदाहरण है।
जनसंख्या वृद्धि में वोट बैंक का शिकार बना देश : स्वतन्त्रता के तुरन्त बाद सत्ता में बने रहने की लिए राजनीति की गयी अगर देश की जड़े मजबूत करने की राजनीति होती तो आज देश में धार्मिक व मजहबी चुनौतियों का वास्ता ना होता। तुष्टिकरण के चलते कांग्रेस की सरकारों ने बढ़ती जनसंख्या पर कभी ध्यान नहीं दिया। उनका ध्यान सत्ता बचाना था, देश बचाना नहीं अन्यथा 60 के दशक में जनसंख्या नियंत्रण के लिए सख्त कानून लागू किये जाने चाहिए थे।
बांग्लादेशी, रोहिंग्या घुसपैठ पॉपुलेशन जिहाद का हिस्सा : बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठ देश में जनसंख्या असंतुलन का एक अलग ही खतरनाक कारक है। दरअसल ये भी पॉपुलेशन जिहाद का ही हिस्सा है। आज इसे नजरअंदाज करना सांप को दूध पिलाने के समान है। घुसपैठ का दुष्परिणाम अगले 40 सालों में कुछ इस कदर भयानक रूप लेगा कि वोट के ठीकेदारों को इसका अंदाजा नहीं। घुसपैठियों को तत्काल बाहर करना भी आवश्यक है।
मौके पर हिन्दू जागरण मंच राँची के महामंत्री श्री राकेश कर्ण जी ने कहा-की अधिकांश कट्टरवादी मुस्लिम समाज लोकतांत्रिक चुनावी व्यवस्था का अनुचित लाभ लेने के लिए अपने संख्या बल को बढ़ाने के लिये सर्वाधिक इच्छुक रहते हैं। तभी तो अधिकांश मुस्लिम बस्तियों में यह नारा लिखा हुआ मिलता है कि “जिसकी जितनी संख्या भारी सियासत में उसकी उतनी हिस्सेदारी” । जनसंख्या के सरकारी आकड़ों से भी यह स्पष्ट होता रहा हैं कि हमारे देश में इस्लाम सबसे अधिक गति से बढ़ने वाला संप्रदाय/धर्म बना हुआ हैं। इसलिए यह अत्यधिक चिंता का विषय है कि ये कट्टरपंथी अपनी जनसंख्या को बढ़ा कर स्वाभाविक रुप से अपने मताधिकार कोष को बढ़ाने के लिए भी सक्रिय हैं। इसको “जनसंख्या जिहाद” कहा जाये तो अनुचित न होगा क्योंकि इसके पीछे इनका छिपा हुआ मुख्य ध्येय हैं कि हमारे धर्मनिरपेक्ष देश का इस्लामीकरण किया जाये।
विश्व में भूमि व प्रकृति का अनुपात प्रति व्यक्ति संतुलित न होने से पृथ्वी पर असमानता बढ़ने के कारण गंभीर मानवीय व प्राकृतिक समस्याऐ उभर रही है। सभी मानवों की आवश्यकता पूर्ण करने के लिए व्यवसायीकरण बढ़ रहा है । बढ़ती हुई जनसंख्या संसाधनों को खा रही है। औद्योगीकरण होने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है व बढ़ती आवश्यक वस्तुओं की मांग पूरी करने के लिए मिलावट की जा रही है। जिससे स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त वायु प्रदूषण , कूड़े-कर्कट के जलने पर धुआं , प्रदूषित जल व खादय-पदार्थ , घटते वन व चारागाह , पशु-पक्षियों का संकट , गिरता जल स्तर व सूखती नदियां , कुपोषण व भयंकर बीमारियां , छोटे-छोटे झगड़ें, अतिक्रमण, लूट-मार, हिंसा, अराजकता , नक्सलवाद व आतंकवाद इत्यादि अनेक मानवीय आपदाओं ने भारत भूमि को विस्फोटक बना दिया है। फिर भी जनसंख्या में बढ़ोत्तरी की गति को सीमित करने के लिए सभी नागरिकों के लिए कोई एक समान नीति नही हैं । प्राप्त आंकडों के अनुसार हमारे ही देश में वर्ष 1991 , 2001 और 2011 के दशक में प्रति दशक क्रमशः 16.3 ,  18.2  व  19.2  करोड़ जनसंख्या और बढ़ी है। जबकि उपरोक्त वृद्धि के अतिरिक्त  बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और म्यांमार आदि से निरंतर आने वाले घुसपैठिये व अवैध व्यक्तियों की संख्या भी लगभग 7 करोड़ होने से एक और गंभीर समस्या हमको चुनौती दे रही है ।
इसके अतिरिक्त विभिन्न समाचारों से प्राप्त कुछ आंकड़े व सूचनाओं के अनुसार ज्ञात होता हैं कि जनसांख्यकीय घनत्व के बिगड़ते अनुपात के बढ़ने से भी ये विकराल समस्याएं बहुत बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है। सम्पूर्ण विश्व के 149 करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में भारत का क्षेत्र मात्र 2.4 प्रतिशत हैं जबकि हमारी पूण्य भूमि पर विश्व की कुल जनसँख्या लगभग 7.5 अरब का 17.9 प्रतिशत बोझ है | आज हमारे राष्ट्र की कुल जनसँख्या 134 करोड से अधिक  हो चुकी है और जो चीन की लगभग 138 करोड जनसँख्या के बराबर होने की ओर बढ़ रही है | जबकि पृथ्वी पर चीन का क्षेत्रफल हमसे लगभग 3 गुना अधिक है | इस प्रकार हम 402 व्यक्तियों का बोझ प्रति वर्ग किलोमीटर वहन करते है जबकि चीन में उतने स्थान पर केवल 144 व्यक्तियों ही रहते है । इसीप्रकार पाकिस्तान में 260 , नेपाल में 196 , मलेशिया में 97, श्रीलंका में 323 एवं तुर्की में मात्र 97 व्यक्तियों का प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पालन हो रहा है | हम से ढाई गुना बडे क्षेत्रफल वाले ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या जितनी ही संख्या ‎प्रति वर्ष हमारे देश में बढ़ रही हैं ।
अतः भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को शांति, स्वस्थ व सुरक्षित जीवन के साथ साथ समाजिक सद्भाव एवं सम्मानित जीवन जी सके इसलिये हम सब राष्ट्रवादी चिंतित हो रहें हैं। इन चिंताओं के निवारण व देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरुप को बचायें रखने के लिए आज की प्रमुख आवश्यकता है कि सभी नागरिकों के लिए एक जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना ही चाहिए!
मौके पर ही विश्व सनातन सेना की उपाध्यक्ष श्रीमती दीप्ती अग्रवाल ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या भारत हड़पने का खुला षड़यन्त्र। हम दो हमारे दो नाम के सरकारी नारा देश की सरकारों ने देश में दिया और जनसंख्या नियंत्रण के कार्यक्रम भी लागू हुआ लेकिन इसका कितना पालन किसने किया इसकी समीक्षा देश में कभी नहीं हुई।हम दो हमारे दो नामक नारे को सही मायने में सिर्फ देश की बहुसंख्यक हिन्दू समाज ने भर पालन किया बाकी लोगों ने सिर्फ देश को और सरकार को धोखा देने का काम किया है। पॉपुलेशन जिहाद का सामना कर रहा है भारत। पूरे भारत को निगलने के लिए पॉपुलेशन जिहाद  एक सुनियोजित साजिश के तहत अंजाम दिया जा रहा है। अगर अभी जनसंख्या नियंत्रण के लिए ठोस कठोर कानून ना लाया गया तो ये तय है आने वाले 3-4 दशकों में भारत सुरक्षित नहीं रह पाएगा। कई विदेश एजेंसियों ने आकलन किया है जिन्होंने स्पष्ट कहा है जिस तेजी से मुस्लिम समाज जनसंख्या बढ़ा रहे हैं उससे निकट भविष्य में भारत में हिन्दू समाज को अल्पसंख्यक होते देर नहीं लगेगा। जनसँख्यका नियन्त्र वर्तमान भारत का सबसे बड़ा समय का मांग है। अगर भारत को सुरक्षित रखना है तो अविलंब प्रभावी कानून पारित किया जाना बेहद जरूरी है। साथ इस बात की भी आवश्यकता है देश में जिस भी व्यक्ति  का दो से अधिक बच्चे हों उन्हें सरकार के हर योजनाओं व सब्सिडी से तत्काल प्रभाव से वंचित किया जाना चाहिए।नरेंद्र मोदी सरकार से देश को काफी उम्मीदें है। ऐसे कदम उठाए जाने जरूरी है जिससे भारत मजबूत हो अन्यथा पूर्व की सरकारों ने तो देश को कमजोर करने का काम किया है।

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