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नई दिल्ली. सितंबर 17, 18, 19 को दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत की ओर से तीन दिवसीय व्याख्यान माला का आयोजन विज्ञान भवन में किया जा रहा है. जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों के संदर्भ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण प्रबुद्धजनों के समक्ष रखेंगे. व्याख्यान माला में समाज के समस्त अंगों के चयनित प्रबुद्धजनों के साथ यह विचार मंथन होगा. पहले दो दिन विभिन्न विषयों पर सरसंघचालक जी का संबोधन रहेगा, तीसरे दिन जिज्ञासा Bharat VSK 26 08 18समाधान व प्रश्नोत्तर के पश्चात समापन सत्र होगा. सोमवार, 27 अगस्त को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, दिल्ली में आयोजित पत्रकार वार्ता में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार जी ने कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि सारे देश के अंदर ऐसा एक अनुभव आया है कि संघ कार्य को समझने और उससे जुड़ने की इच्छा, उत्सुकता चारों तरफ बढ़ रही है. एक बहुत बड़ा वर्ग देश में ऐसा तैयार हो गया है, जो अपने देश की संस्कृति का गौरव मन में रखता है. समाज और देश के लिए प्रत्यक्ष योगदान करना चाहता है और इसके लिए वह संघ के साथ जुड़कर भी काम करना चाहता है. संघ जिज्ञासा, उत्सुकता का विषय तो है ही, संघ का दैनंदिन राजनीति से कोई संबंध नहीं है. परंतु, राजनीतिक दलों से जुड़े बहुत सारे लोग हर मुद्दे को संघ से जोड़ने की कोशिश करते हैं, वास्तव में इसकी कोई आवश्यकता नहीं है. इसे देखते हुए एक विचार बना कि भविष्य के भारत की संकल्पना और इस पर संघ का दृष्टिकोण, संपूर्ण समाज को साथ जोड़ने की हमारी कल्पना और उसकी भूमिका क्या है, इन विषयों पर सरसंघचालक जी समाज के प्रबुद्ध वर्ग के साथ संवाद करें.
उन्होंने बताया कि ऐसी कल्पना है - व्याख्यान माला के तहत विभिन्न देशों के दूतावासों से भी हम संपर्क करेंगे. समाज जीवन के जितने भी क्षेत्र हैं, चाहे मीडिया है, इंडस्ट्री है, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाएं हैं, स्तंभ लेखक हैं, इंटलेक्चुअल्स हैं, कानूनविद्, सहित समस्त क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को बुलाएंगे. सामान्यतया 35-40 मिनट के कार्यक्रम में बहुत बातें, विषय स्पष्ट नहीं हो पाते, इसलिए तीन दिन का कार्यक्रम रखा है ताकि समस्त विषयों पर समग्रता से संवाद हो सके. इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों से चयनित लोगों को भी बुलाएंगे, सब दलों को संपर्क करेंगे.
राहुल गांधी के बयान पर पूछे गए सवाल पर अरुण जी ने कहा कि सारी दुनिया इस्लामिक स्टेट, मुस्लिम ब्रदरहुड, मुस्लिम आतंक से कितनी त्रस्त है, अगर इसकी संकल्पना उनको स्पष्ट होती तो शायद वे तुलना नहीं करते. कभी-कभी वे स्वयं ही कहते हैं कि मैं भारत को समझने की कोशिश कर रहा हूं, तो जो अभी भारत को नहीं समझा वो संघ को नहीं समझ सकता. संघ को समझने के लिए पहले कम से कम भारत को समझना आवश्यक है. सर्वधर्म समभाव, वी द पीपल ऑफ इंडिया, वसुधैव कुटुबंकम ये समझना है, ये समझेंगे तो संघ समझ में आएगा. संभवतया जानकारियों के अभाव में ये तुलना की है. राहुल गांधी को कार्यक्रम में बुलाने पर उन्होंने कहा कि ये अभी हमें तय कर लेने दें कि हम किस-किस को बुलाएंगे, लेकिन समाज जीवन के समस्त क्षेत्रों को संपर्क करने का प्रयास करेंगे.
केरल में स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे बाढ़ राहत कार्यों को झुठलाने को लेकर किये जा रहे प्रचार पर उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने जो काम किया है, उसे कोई झुठला नहीं सकता. साधारण तौर पर हम कहें तो संघ की ओर से कोई बड़ा मीडिया कैंपेन चलाएं ऐसा प्रयास हमने नहीं किया. वास्तव में जो कुछ काम नहीं करते, उनके अंदर इस तरह की परेशानी खड़ी होती है और काम करने वालों के ऊपर तरह-तरह से सवाल खड़े करते हैं. हम इसे लेकर चिंतित नहीं हैं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक बताने के लिए काम नहीं करता. हम ये मानते हैं कि इस देश का प्रत्येक नागरिक मेरा भाई है, वो जहां भी जिस भी स्थान पर संकट में होगा, उस जगह जाकर काम करना, ये मेरा फर्ज है और इस दायित्वबोध से हम हर जगह जाते हैं. अन्य लोग क्या चर्चा करते हैं, उस पर अधिक बोलने की आवश्यकता नहीं है.

 


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