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दिव्यांग थ्रोबॉल के पांच राष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों तथा एक पुरुष खिलाड़ी को संघ ने सम्मानित किया

दिव्यांग थ्रोबॉल खिलाड़ियों को संघ ने किया सम्मानित रांची, 10 जुलाई आगामी दिसंबर में चेन्नई में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय पारा थ्रो बॉल चैंपियनशिप के क्वालीफाइंग मैच में भाग लेने के लिए मलेशिया जानेवाली भारतीय महिला पारा (दिव्यांग) थ्रो बॉल टीम के पांच खिलाड़ियों तथा एक पुरुष खिलाड़ी को सोमवार को कांके रोड स्थित विश्व संवाद केंद्र कार्यालय में सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर ने उन्हें मेमेण्टो एवं अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। सम्मानित होने वाली महिला खिलाड़ियों के नाम हैं प्रतिमा तिर्की, अनिता तिर्की, महिमा उरांव, असुंता टोप्पो, तारामणि लकड़ा एवं सनोज महतो।

दिव्यांग थ्रोबॉल खिलाड़ियों को संघ ने किया सम्मानित इस अवसर पर खिलाड़ियों को सहयोग एवं प्रोत्साहन देने वाले गुमला के समाजसेवी एवं जिला परिषद सदस्य दिलीप बडा़इक, संघ के सह प्रांत प्रचार प्रमुख संजय कुमार आजाद, प्रान्त संपर्क टोली के अनुसूचित जाति जनजाति श्रेणी प्रमुख डॉ सहदेव राम, क्रीड़ा श्रेणी प्रमुख अनिल कुमार उपस्थित थे। परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद अल्बर्ट एक्का के पुत्र विंसेंट एक्का, पुत्रवधु रजनी एक्का और खिलाड़ियों के स्थानीय कोच मुकेश कंचन भी उपस्थित रहे।

सम्मान समारोह का संचालन संघ के साधु संत सम्पर्क प्रमुख स्वामी दिव्य ज्ञान ने किया। उन्होंने बताया कि यह दिव्यांग खिलाड़ी बहुत संघर्ष के उपरांत इस मुकाम पर पहुंचे हैं। समाज के सभी भावनावान लोगों को इनकी हर संभव मदद के लिए आगे आना चाहिए। मलेशिया जाने-रहने का सारा खर्च खिलाड़ियों को स्वयं वहन करना है।

दिव्यांग थ्रोबॉल के पांच राष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों तथा एक पुरुष खिलाड़ी को संघ ने सम्मानित कियापारा (दिव्यांग) थ्रो बॉल राष्ट्रीय टीम की एक महिला खिलाड़ी असुंता टोप्पो (ग्राम छतरपुर, प्रखंड चैनपुर, गुमला) गरीबी के कारण मलेशिया जाने-रहने का खर्च वहन करने में बिल्कुल असमर्थ थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से उसका सारा खर्च ₹ 66000/- चैनपुर के समाजसेवी एवं गुमला जिला परिषद के सदस्य दिलीप बड़ाईक ने अपनी ओर से प्रायोजित कर दिया। इस अवसर पर दिलीप बड़ाईक ने कहा कि आज सम्मानित दिव्यांग महिला खिलाड़ियों में से पांच जनजातीय समाज से हैं जो झारखंड के लिए गौरव का विषय है। झारखंड में सभी खेलों में प्रतिभावान खिलाड़ी भरे पड़े हैं आवश्यकता है उन्हें गांव-कस्बों से चिन्हित और चयनित कर प्रशिक्षण केंद्रों में लाने और सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यहां की खिलाड़ियों और बहन बेटियों का सम्मान करने में विफल रही है।

 


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