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यह समय है, हिन्दू विरोधियों और देशद्रोहियों को परास्त करने का : स्वामी असीमानंद

रांची, 01 मई  2019 : स्वामी असीमानंद को 9 वर्ष की लंबी न्यायिक लड़ाई के बाद पंचकुला की विशेष एनआईए अदालत ने हाल ही में समझौता धमाके के आरोप से बरी कर दिया। अब वह सभी आरोपों से मुक्त हो चुके हैं । लेकिन 2010 के बाद उनका जो कठिन समय जेल में गुजरा, अमानवीय यातनाओं को सहना पड़ा, अब उस साजिश की परतें खुल रही हैं

VSK JHK 01 5 19 1साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य ने आरोप मुक्त होने के बाद स्वामी असीमानंद से विशेष बातचीत की और जाना कि कैसे संप्रग सरकार के दौरान ‘भगवा आतंक’ जैसे जुमले गढ़कर हिन्दू समाज को आहत और अपमानित करने की साजिशें रची गई थीं. उनसे बातचीत के प्रमुख अंश : 

मक्का मस्जिद सहित समझौता धमाके के आरोप में आप को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अब सच सामने आ चुका है और न्यायालय ने आपको बरी कर दिया है। निर्दोष साबित होने के बाद क्या कहेंगे आप : आखिर में सत्य की जय हुई है।  इसलिए ही तो भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ है। इस फैसले के बाद मैं खुशी महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मुझे जिन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ना से लेकर अमानवीय यातनाएं तक दी गयी । उससे मुक्त होने के बाद शांति महसूस कर रहा हूं।  दूसरी बात, यह हिन्दू विरोधियों की हार है।  यह उनकी हार है, जिन्होंने ‘भगवा आतंक’ जैसे शब्दों को गढ़कर समस्त हिन्दू समाज को देश-दुनिया में अपमानित करने की साजिश रची।  यह उनकी हार है जिन्होंने ‘भगवा’ की पवित्रता पर लांछन लगाने का दुष्कृत्य किया।  खैर, देर से ही सही, आज सच सबके सामने आ चुका है और जो इसके पीछे के साजिशकर्ता थे, उनके चेहरों से भी नकाब उतर रहा है। 

आपको गिरफ्तार क्यों किया गया था? इसके पीछे प्रमुख कारण क्या मानते हैं : मैं हिन्दुत्व और हिन्दू समाज के लिए काम कर रहा था, इसलिए मुझे प्रताड़ित किया गया और एक साजिश के तहत गिरफ्तार किया गया।  लेकिन मुझे गिरफ्तार करने के पीछे असल निशाना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी थी।  मेरे जरिए हिन्दू विरोधी तत्व इन संगठनों को लक्षित कर बदनाम करने की साजिश में लगे हुए थे, लेकिन वे अपने मंसूबे में सफल नहीं हुए। 

कथित ‘भगवा आतंक’ के जुमले को सिद्ध करने के लिए आपको असहनीय प्रताड़नाएं दी गईं ।इसमें कितनी सचाई है : बिल्कुल, यह बात सच है। मैं इसे याद करके इस बारे में ज्यादा नहीं बोलना चाहता, लेकिन इतना जरूर कहना चाहता हूं कि मुझ पर असहनीय अत्याचार तो किए ही गए, अमानवीय यातनाएं तक दी गयी।  लेकिन मैं टूटा नहीं, अडिग रहा। 

इस पूरे मामले में तत्कालीन केंद्र सरकार, स्थानीय पुलिस, एटीएस, एनआईए एवं अन्य जांच एजेंसियों की भूमिका पर क्या कहना है आप का : देखिए, तत्कालीन सरकार के इशारे पर मुझे फंसाने की पूरी साजिश चल रही थी और इसमें सभी जांच एजेंसियां शामिल थीं।  इसलिए सरकार जो साबित कराना चाहती थी, एजेंसियां मामले को उसी ओर मोड़ रही थीं।  अगर यूं कहें कि एजेंसियां सरकार की कठपुलती बनकर कार्य कर रही थीं तो गलत नहीं होगा।  इस दौरान मेरे ऊपर अनेक तरीके से अनैतिक दबाव डालकर एजेंसियां जो चाहती थीं, वह करा रही थीं। 

राहुल गांधी द्वारा यह कहा जाना कि इस्लामिक आतंकवाद से बड़ी चुनौती ‘हिन्दू आतंकवाद’ है।  इसी तरह उस समय कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल  पी. चिदंबरम, सुशील शिन्दे, कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह के अधिकतर बयानों का केंद्र ‘भगवा आतंक’ ही होता था।  इसके पीछे क्या वजह हो सकती है : देखिए, कांग्रेस लंबे समय से मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करती चली आ रही थी।  कैसे एक वर्ग को और खुश करके उसे वोट में बदला जाए, इसके लिए साजिशें रची जा रही थीं।  यह वही समय था, जब देश में आए दिन आतंकी हमले हो रहे थे और इनमें पकड़े जाने वाले आतंकी मुस्लिम ही होते थे।  यहीं से एक साजिश रची जाती है कि कैसे एक वर्ग को ‘हिन्दू आतंकवाद’ की आड़ में खुश किया जाए।  इसलिए कुछ धमाकों के बाद हिन्दुओं को पकड़ कर ‘भगवा आतंक’ की साजिश को हवा दी गई और एक वर्ग को खुश किया गया। यह तुष्टीकरण का ही एक वीभत्स रूप था और यही प्रमुख वजह रही कि मुझे भी गिरफ्तार किया गया, क्योंकि मैं हिन्दू समाज के बीच में काम कर रहा था, जिसके कारण मैं पहले से ही अराजक और हिन्दू विरोधी ताकतों के निशाने पर था। 

‘भगवा आतंक’ की आड़ लेकर जिन-जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, वे लोग न्यायालय द्वारा निर्दोष साबित हो रहे हैं।  ‘भगवा आतंक’ को लक्षित करते हुए उस समय की सरकार के असल निशाने पर कौन था : जिन लोगों को ‘भगवा आतंक’ के आरोप में गिरफ्तार किया, आज वे लोग निर्दोष साबित हो रहे हैं।  और ऐसा तो होना ही था ।  क्योंकि झूठ एक न एक दिन जरूर खुलता है और सच सामने आता ही है।  रही बात असल निशाने की तो हिन्दू विरोधियों को लग रहा था कि आने वाले दिनों में भाजपा सत्ता में आ सकती है।  तो ऐसा क्या षड्यंत्र रचा जाए, जिससे भाजपा के कार्य में रुकावट उत्पन्न हो और देशभर में यह संगठन बदनाम हो जाए।  ऐसी ही ताकतों ने दूसरी बड़ी साजिश रची थी – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने की।  इस सबके पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य था – संघ और भाजपा को मिटाने का।  इसलिए हिन्दू विरोधियों द्वारा साजिश पर साजिश रची जा रही थी। मोहरा हम जैसे लोगों को बनाया गया था।  हकीकत में देखें तो सच आज धीरे-धीरे सामने आ रहा है, अगर यह साजिश कामयाब हो जाती तो न केवल यह सदा के लिए गर्त में दबा रहता, बल्कि झूठ की बुनियाद पर हम जैसे लोगों को फांसी तक पर लटका दिया जाता।  लेकिन प्रसन्नता की बात है ऐसी ताकतें अपने काम में असफल रहीं और सत्य की जीत हुई। 

क्या आपने जेल से ‘कारवां पत्रिका’ को साक्षात्कार दिया था : नहीं, मैंने किसी भी पत्रिका को कोई साक्षात्कार नहीं दिया था।  यह पूरी तरह से झूठ है।  यह पत्रिका यदि दावा करती है कि इस औपचारिक साक्षात्कार के टेप हैं तो उन्हें सामने लाना चाहिए।  दूसरी बात पत्रिका की संवाददाता ने घंटों मिलने की बात कही।  इसमें एक बात सही हो सकती है कि यह संवाददाता एक तय समय पर जेल में आई हो और तय समय पर जेल से बाहर गई हो, लेकिन मुझसे घंटों बात की हो, यह बिल्कुल सही नहीं है।  एक बार यह ‘संवाददाता’ छद्म अधिवक्ता के तौर पर मेरे अधिवक्ता के नाम का सहारा लेकर मुझसे मिली, लेकिन उनसे ऐसी कोई बात नहीं हुई, जिसे साक्षात्कार में लिखा गया।  मैं अपने अधिवक्ता से परामर्श भी कर रहा हूं कि इस दिशा में क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। 

जांच एजेंसियां जबरदस्ती क्या कहलवाना चाहती थीं, जो आप नहीं कह रहे थे : जांच एजेंसियां मुझे असहनीय प्रताड़ना देकर, अमानवीयता की हदें पार कर जबरदस्ती कहलवाना चाहती थीं कि आतंकी गतिविधियां ‘रा.स्व. संघ और भाजपा’ के इशारे पर हुईं।  वे मुझसे कई और झूठ बोलने के लिए मजबूर करती थीं।  इसलिए जांच एजेंसियां मेरे साथ अमानवीयता की पराकाष्ठा तक गई।  इसी कड़ी में एक पत्रिका ने एक झूठ देश-दुनिया में प्रसारित किया।  एक समाचार में मेरे हवाले से उन्होंने बहुत तोड़-मरोड़कर छापा, जबकि यह समाचार पूरी तरह से झूठ की बुनियाद पर था। 

न्यायालय में दिया गया आपका एक बयान मीडिया की सुर्खियां बना था, जबकि यह बयान पूरी तरह से गोपनीय होना चाहिए था।  क्या यह भी कोई साजिश थी : देखिए, तब कांग्रेस की सरकार थी तो समझ सकते हैं कि जांच एजेंसियां किसके इशारों पर काम कर रही थीं।  जो बयान लीक हुआ, वह एक साजिश थी और यह सब पुलिस हिरासत में ही हुआ।  इससे सबकुछ समझा जा सकता है।  लेकिन माननीय न्यायाधीश ने इसे स्वीकार नहीं किया।  मेरे ऊपर विभिन्न तरह के दबाव डाले जा रहे थे।  शारीरिक यातनाएं दी जा रही थीं।  परिवार के लोगों को हानि पहुंचाने की धमकी दी जा रही थी, खासकर मां को।  पर मैं सत्य पर अडिग रहा। 

कथित ‘भगवा आतंक’ पर तो खूब शोर सुनाई दिया पर ‘इस्लामी आतंक’ की बात आते ही यह शोर थम जाता है।  उल्टे तब कहा जाता है कि आतंक का कोई मजहब नहीं होता।  क्या कहेंगे आप इस पर : बिल्कुल, यह सब मुस्लिम तुष्टीकरण ही है।  ये लोग जानबूझकर ऐसा करते हैं, क्योंकि अगर वे सच कह देंगे तो मुस्लिम समाज नाराज हो जाएगा और उनसे छिटक जाएगा।  इसलिए हिन्दू समाज को बदनाम करते रहो, उसके खिलाफ बोलते रहो, उनके मान बिन्दुओं पर प्रहार करते रहो। ऐसा करने से एक वर्ग खुश होगा और वोट देगा। देखिए, वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति के लिए ही ‘भगवा आतंक’ जैसा शब्द गढ़ा गया था। हिन्दुओं का दमन करने के लिए हिन्दू विरोधियों ने इस ‘जुमले’ का सहारा लेकर इसे साजिश का रूप दिया।  हकीकत में देखें तो हिन्दू समाज कभी भी आतंकवाद में संलिप्त नहीं रहा, उसके द्वारा आतंकवाद फैलाया गया हो, ऐसा कोई भी उदाहरण 5 हजार साल के इतिहास में देखने को नहीं मिलता। 

देश में लोकसभा चुनाव जोरों पर हैं।  इस मौके पर लोगों से क्या कहना चाहेंगे : यह चुनाव हिन्दू विरोधियों, देशद्रोहियों, अराजक ताकतों को परास्त करने का सुनहरा अवसर है।  इसलिए पूरी ताकत से हिन्दू समाज को हिन्दू शक्तियों को विजय दिलानी होगी।  इसलिए मेरा भारतीय समाज से आग्रह है कि वे नरेंद्र मोदी सरकार को प्रबल मतों से विजयी बनाएं। 

गिरफ्तारी से पहले आप जनजाति समाज के उत्थान और जागरण का काम कर रहे थे।  क्या इस दिशा में फिर से सक्रिय होंगे : जो काम मैं पहले से ही कर रहा हूं, उसमें कोई अंतर नहीं आया है।  क्योंकि मेरे जीवन का लक्ष्य ही हिन्दू समाज की सेवा है और यह कार्य मैं अंतिम समय तक करता रहूंगा।  वनवासी क्षेत्रों में हिन्दू विरोधियों द्वारा वनवासी समाज को बरगलाने, उनका कन्वर्जन करने का जो घृणित काम किया किया जा रहा है, उसे रोकने के लिए मैं पहले की तरह ही काम करूंगा।  हां, यह सही है कि मेरे कार्य की वजह से ही मेरे खिलाफ साजिश रची गई थी।  हिन्दू शक्तियों का दमन करने के लिए ही सभी हिन्दू विरोधी एक हुए थे।  वे चाहे मुस्लिम, ईसाई, कांग्रेस एवं वामपंथी ही क्यों न रहे हों ! क्योंकि मैं वनवासी क्षेत्रों में हिन्दू विरोधियों की साजिश को स्वजनों की ‘घर वापसी’ के जरिए नाकाम कर रहा था।  इससे हिन्दू समाज के विरोध में जो साजिशें रची जा रही थीं, उन पर पानी फिर रहा था।  इसलिए यह प्रतिशोध लिया गया।  नि:संदेह, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने पर बहुत बड़े-बड़े संकट आते हैं, लेकिन धर्म और सत्य के तेज से वह न केवल क्षीण होते हैं, बल्कि सत्य की जीत होती है।  मेरे संन्यासी एवं आध्यात्मिक जीवन का लक्ष्य मानव जीवन का मंगल, उनकी सेवा करना है।  और यह कार्य मैं लगातार करता रहूंगा। 

साभार – पाञ्चजन्य


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