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समाज में मूल्यपरक व संस्कारयुक्त शिक्षा देने को प्रतिबद्ध विद्या भारती, झारखंड

रांची, 18 फरवरी : विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान तकनीक, विज्ञान एवं प्रयोग के बीच आधुनिकता की ओर बढ़ रहे समाज में नैतिकता के साथ-साथ संस्कार युक्त शिक्षा देने को प्रतिबद्ध है। 7 जुलाई 1952 को इस योजना के प्रेरक आर एस एस के प्रचारक स्व. नाना जी देशमुख, स्व. भाउराव देवरस तथा स्व. कृष्णचंद्र गाँधी बने। शिक्षार्थियों में पंचकोषीय विकास के साथ राष्ट्र प्रेम तथा गौरव का संचार हो इसके लिये विद्या भारती, झारखंड में 90 के दशक से विद्या विकास समिति, झारखंड तथा 80 के दशक से वनांचल शिक्षा समिति का संचालन कर रही है। जनजातीय समाज को मुख्यधरा के साथ जोेड़ने के लिये वर्ष 2006 में जनजातीय शिक्षा समिति का गठन किया। वर्तमान में विद्या विकास समिति-120, वनांचल शिक्षा समिति-126 तथा जनजातीय शिक्षा समिति-9 औपचारिक तथा सैकड़ों अनौपचारिक विद्यालय चला रही है। इसके अलावे 680 सरस्वती शिक्षा केंद्र तथा 300 संस्कार केंद्र भी संचालित किये जा रहे है। 5000 महिला/पुरूष आचार्य के मार्गदर्शन में करीब डेढ़ लाख भैया-बहन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। सामाजिक समरसता और सौहार्द की अवधरणा को पोषित करते हुए प्रबंध् समिति बिना किसी भेद-भाव के सभी वर्ग एवं जाति के बच्चों को शिक्षा देती है। ईसाई व मुस्लिम समुदाय से हजारों की संख्या में बच्चे तथा सैकड़ों की संख्या में आचार्य भी यहाँ है। बालिका शिक्षा के लिये कई जिलों में अलग से विद्यालय व प्रशिक्षण केंद्र भी है। इनके लिये व्यक्तित्व विकास वर्ग तथा शारीरिक एवं बौद्धिक प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। विद्या भारती विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे आपस में भैया-बहन शब्द का प्रयोग करते हैं जो सद्भाव को बढ़ाता है। समाज में गहरी पैठ बना चुके विद्या भारती के 32 विद्यालयों को विज्ञान और तकनीकि क्षेत्रा से सीधे जोड़ने के लिये केंद्र सरकार की अटल टिंकरिंग लैब की योजना से जोड़ा गया है। सीबीएसई तथा जैक की वार्षिक परीक्षाओं में शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम के साथ यहाँ के विद्यार्थियों जिला व राज्य स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते रहे है। स्कूल गेम फेडरेशन आॅफ इंडिया SGFI से एक राज्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। विद्या भारती झारखंड के प्रतिभावान भैया-बहनों ने खेल-कूद में विशिष्ट स्थान प्राप्त कर संगठन का नाम प्रांत व राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया है।
विद्या भारती के पाँच आधरभूत विषय शारीरिक, योग, संगीत, संस्कृत, नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा है। संस्कृति बोध् परियोजना, पूर्व छात्र परिषद, विद्वत परिषद व शोध् परिषद विद्या भारती योजना के चार आयाम हैं जिसके माध्यम से बच्चों व समाज को सहभागी बनाया जाता है। ‘‘उत्सर्ग’’ नाम से वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है, जिसका उद्देश्य बच्चों की साहित्यिक व रचनात्मक प्रतिभा का विकास करना है। शिक्षा में हो रहे नित्य नये प्रयोग व शोध् का ज्ञान कराने के लिये विद्या भारती अपनेे आचार्य को समय-समय पर प्रशिक्षित भी करती है। समाज प्रबोधन और समरसता के लिये अभिभावकों के बीच मातृ सम्मेलन, दादा-दादी नाना-नानी तथा मातृ पितृ पूजन, गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। अतः विद्या विकास समिति, झारखंड वनांचल शिक्षा समिति एवं जनजातीय शिक्षा समिति शिक्षा के कार्य को झारखंड के अंदर अच्छे ढंग से संपन्न कराने में अपनी महती भूमिका निभा रही है।


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