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रांची, 01 अक्टूबर (हि.स.) : बाॅलीवुड अभिनेता पद्मश्री मनोज जोशी ने कहा प्रजाभिमुख व्यावस्था होनी चाहिए। आज वोट के लिए समाज को जाति में बांटने की कोशिश की जा रही है। उस समय चाणक्य ने एक दासी पुत्र को राज्य का सम्राट बनाया था। यदि भेदभाव होता या वे जातिय व्यवस्था को आत्मसात करते तो दासी पुत्र कभी भी सम्राट नहीं बनता। राजा होना सुखी होने का मार्ग कदापि नहीं है। केवल स्वार्थ सिद्धी और मस्ती के लिए शासन नहीं होना चाहिए बल्कि प्रजा के सुख के लिए होना चाहिए। हमारी व्यवस्था व्यवस्था कर्म पर आधारित है। इसलिए प्रजा अभिमुख शासन जरूरी है। कलाकार होने के नाते हमारा भी कर्तव्य बनता है कि समाज के लिए लिए कुछ करें और यह सोच भी चाणक्य ने ही दी है। सेवा फाउंडेशन देवघर की ओर आयोजित चाणक्य नाटक का मंचन करने रांची आये हुए हैं। इस मौके पर उनसे खास बातचीत हुई। वे देश और विदेश में एक हजार से अधिक बार चाणक्य का मंचन कर चुके हैं। 2400 साल पहले एक शिक्षक ने राष्ट्र को एकसूत्र में बांधने की नींव रखी थी, चाणक्य नाटक नहीं मिशन है । मनोज जोशी ने कहा, चाणक्य एक पात्र नहीं, विचार है, महासागर है।  आंदोलन है। ये नाटक नहीं मिशन है। समाज को एकसूत्र में बांधना- नाटक का विषय है। नाटक में 20 सालों का कालखंड है। उसे ढाई घंटे में समेटा गया है। कैसे तक्षशिला से निकल कर चाणक्य ने समाज को एक सूत्र में बांधा। जोशी ने कहा कि आज से 2400 साल पहले एक शिक्षक चाणक्य ने राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने की नींव रखी और पूरे मगध को एक प्रशासन के नीचे ले आये। आज भी ऐसे व्यक्ति और विचार की जरूरत है। आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति और मूल तत्वों को नष्ट किया। जातियों में उलझा कर रखा। मुगल, शक, हूण, डच, ब्रिटिश सहित सभी सत्ता ने यही किया। हमारा दुर्भाग्य है कि चाणक्य की बातें हमें नहीं सिखायी गयीं। अगर वो बातें यथावत रहतीं तो आज की पीढ़ी को चाणक्य के बारे में बताने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र है। इसलिए चाणक्य के विचार आज भी प्रासंगिक हैं और इसकी सख्त आवश्यकता है।हरिद्वार में कुष्ठ रोगियों की सेवा कर रहे दिव्य प्रेम मिशन के आशीष गौतम, त्याग भी भारतीय संस्कृति का मूल सिने अभिनेता जोशी ने कहा कि सेवा और त्याग ही सब कुछ है। यह भारतीय संस्कृति का मूल है। आशीष गौतम ने स्वामी विवेकानंद से प्रभावित होकर कुष्ठ रोगियों की सेवा शुरू की। फिर सोचा उनके बच्चों का क्या होगा। फिर उनके बच्चों के बारे में सोचना शुरू किया। और यहीं से शुरू हुआ नया सिलसिला। समाज जिसे अछूत समझता था, उन कुष्ठ रोगियों के बच्चों को मुख्य धारा में शामिल करने के लिए उनकी शिक्षा की व्यवस्था की। आज झारखंड के कुष्ठ रोगियों के बच्चे भी वहां अध्ययनरत हैं। बड़े उद्देश्य को लेकर चल रहा सेवा फाउंडेशन । मनोज जोशी ने कहा कि झारखंड मे प्रदीप कौशिक जी महाराज बहुत बड़े उद्देश्य को लेकर निकले हैं। सेवा फाउंडेशन बहुत ही अच्छा काम कर रहा। प्रदीप भैया  समाज के कमजोर तबके को लेकर चल रहे हैं। सेवा ही उनका संकल्प है और इस महायज्ञ, अनुष्ठान में हमलोग भी अपना दायित्व निभा रहे हैं।
राजीव मिश्र

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