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सीसीए के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत : रामदत्त चक्रधर

रांची, 21 दिसम्बर : नागरिकता संशोधन अधिनियम पर हुई विचारगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा  कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के सम्मान के लिए है अधिनयम। गांधी जी के सपनों को पूरा कर रही है सरकार। नेहरू से लेकर ज्योति बसु तक ने की थी इसकी वकालत। 566 मुस्लिमों को भी इस सरकार ने दी है नागरिकता।

VSK JHK 04 21 19 1नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर पलाश वन भवन में राष्ट्र संवर्धन समिति के तत्वाधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री रामदत्त चक्रधर मौजूद रहे जबकि ब्रिगेडियर बीजी पाठक मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अधिनियम के कानूनी पहलुओं से रूबरू कराने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेंद्र कृष्ण जी भी मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्र संवर्धन समिति के अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश जालान ने की। कार्यक्रम की शुरुआत सभी प्रमुख अतिथियों के द्वारा भारत माता के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके बाद राजीव कमल बिट्टू ने विशेष प्रवेश करवाया।
मुख्य वक्ता श्री रामदत्त चक्रधर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में कहा था कि भारत पूरी दुनिया के पीड़ित-शोषित को संरक्षण देता है। पूर्व VSK JHK 04 21 19प्रधानमंत्री अटल जी अपनी कविताओं में कहते थे कि हमने खुद को लुटाकर भी दुनिया भर से आये लोगों को संरक्षण दिया है। इसका साक्षी पूरा विश्व रहा है।
रही बात नागरिकता की तो 566 मुसलमानों को भी इस सरकार ने भारत की नागरिकता दी है। महात्मा गांधी, नेहरू सहित सब लोगों ने भारत के विभाजन का विरोध किया था। शिमला समझौता में भारत के विभाजन का प्रस्ताव आया था। उस वक़्त माउंटबेटन, गांधी जी, नेहरू जी, लियाकत और जिन्ना भी थे। तब देश के लोगों को लगा था कि कांग्रेस के प्रस्ताव में इसका विरोध होगा परन्तु उसी प्रस्ताव पर कांग्रेस ने मुहर लगा दी। उस विभाजन में ढाई करोड़ लोगों का विस्थापन हुआ। 10 लाख से अधिक हिंदुओं की हत्या हुई। तब नेहरू लियाकत समझौते में दोनों देशों ने अपने अपने अल्पसंख्यको को संरक्षण देने की बात कही थी। भारत ने तो इसका बखूबी पालन भी किया परन्तु पाकिस्तान ने इस समझौते की धज्जियां उड़ा दी। पाकिस्तान व बंगलादेश में गैर इस्लामिक नागरिकों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से घटती गई। आखिर ये गए कहाँ? या तो इनका धर्मपरिवर्तन हुआ या इनकी हत्या हुआ या भगा दिए गए। पूरी दुनिया मे हिंदुओं के लिए एकमात्र देश भारत ही है, तो फिर आखिर हिन्दू कहाँ जाए? यह अधिनियम बहुत पहले आना चाहिए था परंतु वोट बैंक के लालच में नेताओं ने इसपर ध्यान नहीं दिया।
VSK JHK 04 21 19 1947 में काँग्रेस के प्रस्ताव में और खुद नेहरू जी ने कहा था कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्रताड़ित हैं, उनके लिए भारत के दरवाजे हमेशा खुले हैं। ऐसे लोगों की देखरेख व उन्हें हर सहायता प्रदान करना भारत सरकार की पहली प्राथमिकता है। खुद सूचिता कृपलानी जैसी काँग्रेस की नेत्री ने तब कहा था कि पाकिस्तान के हिन्दू और सिख खुद को असहाय न समझें। उनकी पूरी चिंता भारत करेगा। यह भारत की जिम्मेवारी हैं। देश को आजाद कराने में उन्होंने भी भूमिका निभाई परन्तु दुर्भाग्यवश सीमाओं के बंटवारे पर वो पाकिस्तान चले गए। उनका भारत मे स्वागत है। वो हमारे लिए परदेशी नहीं हैं। अब यह बात हमें सोचनी चाहिए कि आखिर यह कौन सी काँग्रेस है जो अपने ही पुरखों को की बात को नहीं मानती। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे ज्योति बसु ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण पश्चिम बंगाल में जनसंख्या अंसतुलन व आंतरिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया है। कुल मिलाकर कहें तो इस तरह की बातें व विचार विभिन्न विचारधारा के नेताओं ने कही है। ये सब भाजपा और आरएसएस के लोग नहीं थे।
सरकार ने इस अधिनियम में यह कहा है कि 31 दिसम्बर 2014 तक 5 साल तक रहने का प्रमाण देकर कोई भी यहॉं की नागरिकता ले सकता है। लोगों के बीच बेवजह का भ्रम पैदा किया जा रहा है।
धार्मिक उत्पीड़न की बात करें तो सिंध प्रांत में प्रतिवर्ष 1000 लड़कियों का जबरन धर्मान्तरण किया जा रहा है।
VSK JHK 04 21 19 31987 से अबतक 1500 लोगों को पाकिस्तान में सिर्फ ईशनिंदा के कारण सजा दी गई। प्रत्येक साल ऐसे कई मामले सामने आते हैं जब धार्मिक रूप से लोगों को प्रताड़ित किया जाता है। इसकी ज्यादातर शिकार बहने और बेटियाँ होती हैं। सरकार ने यह कानून सिर्फ धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यक के लिए है। लियाकत अली ने कहा था कि पाकिस्तान से सफाईकर्मियों को भारत नहीं भेजा जाएगा वरना पाकिस्तान की सड़कों पर झाड़ू कौन लगाएगा। ऐसे बंधुओं को सम्मान देने के लिए सरकार ने यह कानून बनाया है। ऐसे लोग जो किसी तरह से पड़ोस के देशों में धार्मिक रूप से प्रताड़ित किये जा रहे हैं, ऐसे लोगों को सम्मान के साथ जीवन देने के लिए यह कानून लाया गया है। वर्तमान में राष्ट्रविरोधी ताकतें जो काम कर रही हैं, उसके लिए जरूरी है कि समाज के सज्जन लोग आगे आएं। लोगों को जागरूकता लाने की जरूरत है। यह समाज की सज्जन शक्तियाँ ही कर सकती हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर बीजी पाठक ने कहा कि देश मे जिस तरह से माहौल बिगाड़ा जा रहा है इससे बहुत पीड़ा होती है। मैं उस जमात से आता हूँ जहाँ कोई जाति-धर्म नहीं है, हमारा एक धर्म होता है वो है राष्ट्रधर्म। नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर नार्थ-ईस्ट व शेष भारत में समस्या अलग अलग हैं। 2003-2005 में नार्थ-ईस्ट में सेना को अपने सेवा देने के दौरान मुझे भी कई अनुभव रहे हैं। वहाँ के कई हिस्सों स्थानीय निवासी ही अल्पसंख्यक बन गए हैं। अब उनके सामने संकट है कि यदि बाहरी लोगों को नागरिकता मिलती है तो स्थानिय लोगों के समक्ष संकट है। वहाँ अधिकतर लोग बंगलादेशी हैं। वहाँ की गरीबी के कारण वो हमारे यहाँ काम करने आ जाते हैं। वहाँ पर काम करने के दौरान कई अनुभव प्राप्त हुए। शेष भारत में नागरिकता को लेकर यह सही है कि हमारे यहाँ की विशेषता रही है कि हम अपनी मिट्टी से बहुत प्यार करते हैं। परन्तु यह हम सबको समझना होगा कि हम इसकी हिफाजत भी करें।
वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेन्द्र कृष्ण ने कहा कि हमारे संविधान के आर्टिकल 15 का हवाला देकर जो लोग इस अधिनियम का विरोध कर रहे हैं वो बिल्कुल गलत है। संविधान ने हमें इस बात की आजादी दी है कि परिस्थितिजन्य हालातों को देखते हुए सरकार निर्णय ले सकती है। अवैध दो लोगों को कहा गया है। एक वैसे लोग जिनके पास दस्तावेज थे लेकिन उनकी वैद्यता समाप्त हो चुकी है और दूसरे वो लोग जिनके पास कोई दस्तावेज थे ही नहीं। ऐसे में सरकार को निर्णय लेना होता है, नीति बनानी होती है कि उन्हें किसके लिए क्या प्रावधान करना है। सरकार ने इसी के तहत ऐसे धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया है, जो पड़ोसी देशों में धार्मिक रूप से शोषित और प्रताड़ित हैं। सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश के अल्पसंख्यको को इसलिए चुना क्योंकि ये देश इस्लामिक देश हैं और वहाँ हिन्दू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई आदि अल्पसंख्यक हैं।
कार्यक्रम का संचालन शालिनी सचदेव ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन विवेक भसीन ने किया। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम के गायन के साथ हुआ।


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