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 विजयादशमी शक्ति और सामूहिकता का पर्व : वी. भगैया जी

 विजयादशमी शक्ति और सामूहिकता का पर्व : वी. भगैया जी  रांची, 21 अक्टूबर : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ रांची महानगर द्वारा आयोजित श्री विजया दशमी उत्सव स्थानीय डी. ए. वी. कपिल देव, कडरू मैदान में सम्पन्न हुई। इस अवसर पर पूर्ण गणवेश में लगभग 500 स्वयं सेवको ने पथ संचलन में भाग लिया जिनका स्वागत स्थानीय लोगो द्वारा पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया। पूर्ण वादक ताल पर स्वयंसेवको का यह संचलन लोगो के लिए आकर्षक का केंद्र रहा।

इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री वी. भगैया जी ने उपस्थित स्वयं सेवको और महानगर से आए सामान्य बंधु भगिनी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि -"श्री विजयादशमी का यह पर्व शक्ति और सामूहिकता का पर्व है"। यह आसुरी शक्तियों के ऊपर सात्विक शक्तियों के विजय का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हमे इस पावन पर्व के बीज मंत्र को समझना होगा दिखावा का परित्याग कर हमे इस त्योहार की प्रकृति को आत्मसात करना चाहिए। यह त्योहार हमे धर्म की विजय निश्चित है का भाव अपने समाज में संचारित करता है। रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन से व्यापक सिख को स्मरण कराती है।

विजयादशमी शक्ति और सामूहिकता का पर्व : वी. भगैया जी १८५७ की क्रांति उसी सामूहिकता के भाव अपने समाज में दिखी। अपना समाज कभी भिरुता का मार्ग नहीं बल्कि त्याग, बलिदान और समर्पण के मार्ग का अनुयायी रहा है। १९४७ में उसी त्याग और समर्पण ने ब्रिटिश सत्ता से स्वाधीनता को प्राप्त किया। इतना ही नही जब १९७५ में आपातकाल लाया गया उस समय भी अपना समाज इसी सामूहिकता और शौर्य का परिचय देते अपनी विराट शक्ति को जब प्रदर्शित किया तो तानाशाही प्रवृति को लोकतंत्र के आगे घुटना टेकने को मजबूर करवा दिया।

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जब जब हिंदू संगठित हुआ यह राष्ट्र वैभव को प्राप्त किया और जब हिंदू बिखरे यह राष्ट्र पराभव को प्राप्त किया। भारत हिंदू राष्ट्र है। आज राजनीति फिर एकबार जाति के नाम पर हिंदुओं को बांटने का, देश को खंडित करने का दुष्चक्र चला रहा है। उन्होंने कहा कि छुआछूत गलत है। हिंदू हमारी राष्ट्रीयता है हमारी स्मिता है। अपनी एक जाति हिंदू है। अपने अतीत में अपने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बंधुओ को जो सम्मान मिलना चाहिए वो नही मिला इस लिए उन्हें संपूर्ण समाज के साथ कदम से कदम मिलाए इस नाते उन्हें विशेष संवैधानिक सुविधा मिलनी ही चाहिए। वास्तव में आत्मविस्मृत अपना हिंदू समाज को आत्मबल समाज बनाना है इस नाते हमे शक्ति की उपासना करना ही होगा। हमे सिर्फ भक्ति नही अपितु शक्ति का आग्रही होना चाहिए। अपना हिंदू समाज भक्ति की सामूहिकता में शक्ति की सामूहिकता को भूलते जा रहे। घोष का टंकार अपने रक्त के संचार को जो स्पंदन देता वह हमे समाज राष्ट्र के लिए कुछ करने का भाव पैदा करती है।

 विजयादशमी शक्ति और सामूहिकता का पर्व : वी. भगैया जी  आज विश्व शांति, प्रगति के लिए भारत को आशाभारी नजरो से देख रहा है। आज भारत आकाश पाताल,अंतरिक्ष समुद्र हर क्षेत्र में प्रगति को जो परचम लहरा रहा वह आनंद का विषय है। आज भारत को विश्व अपना मार्गदर्शक के रूप में देखता है। तभी हमने इसराइल समस्या पर स्पष्ट दृष्टि दिया। उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं से सामाजिक समरसता,पर्यावरण संरक्षण के लिए,जल, जंगल, जमीन का संरक्षण के लिए अपने से शुरुआत करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर मंच पर वी भागैय्या जी के साथ उत्तर पूर्व क्षेत्र संघचालक देवव्रत पाहन, महानगर संघचालक पवन मंत्री उपस्थित थे। कार्यक्रम में सैकड़ों बंधु भगिनी ने भाग लिया।


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