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- Written by S.K. Azad , Edited by Bharat Bhushan
- Category: RSS Media Cell , Jharkhand Wing
हिन्दू समाज निष्ठावान हो सकता है, कट्टर नहीं : डॉ. मनमोहन वैद्य
रांची, 30 मई 2019 : नागपुर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने हिन्दू समाज को कट्टर कहने को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज निष्ठावान हो सकता है, कट्टर नहीं। इसलिए हिन्दुओं को कट्टर कहना अनुचित होगा।
सह सरकार्यवाह विश्व संवाद केन्द्र, विदर्भ द्वारा नागपुर के साई सभागार में आयोजित पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे । उन्होंने पत्रकार और पत्रकारिता के संदर्भ में कहा कि देश में लोकसभा चुनाव के दौरान हिन्दुत्ववादी संगठन, कट्टर हिन्दू ऐसे शब्दों को कुछ दलों ने प्रचारित किया। लेकिन हिन्दू समाज हजारों वर्षों से सहिष्णु रहा है। उदारता हिन्दुत्व का स्थाई भाव है। कई बार निष्ठावान व्यक्ति को कट्टर कहा जाता है। निष्ठा और कट्टरता दोनों शब्द पूर्णतः भिन्न हैं, इसे हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। कट्टर शब्द अंग्रेजी भाषा के फंडामेंटलिस्ट शब्द का अनुवाद है। वहीं हिन्दी में हम निष्ठा की पराकाष्ठा को कट्टर कहने के लिए फंडामेंटलिस्ट शब्द के लिए प्रयोग में लाए गए कट्टर शब्द का प्रयोग व्यक्ति और समाज के लिए करते हैं. ऐसा करना सर्वथा अनुचित है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में कई शब्द ऐसे हैं, जिनका अंग्रेजीकरण नहीं हो सकता। वहीं कुछ अंग्रेजी के शब्द ऐसे हैं, जिन्हें हम हिन्दी में ठीक तरह से अनुवादित नहीं कर सकते। अंग्रेजी का सेक्युलर शब्द है, जिसका अनुवाद धर्मनिरपेक्ष के तौर पर किया जाता है। लेकिन धर्म या पंथनिरपेक्षता, यह सेक्युलर शब्द का हिन्दी पर्याय नहीं हो सकता। सेक्युलर शब्द की अवधारणा विदेशी है, इसलिए इस शब्द का सोच-समझ कर प्रयोग करना चाहिए। ठीक उसी तरह से धर्म के लिए अंग्रेजी भाषा में रिलिजन शब्द का प्रयोग किया जाता है। लेकिन रिलिजन और धर्म, दोनों अलग-अलग शब्द हैं। देश की संसद के अहम हिस्से के रूप में स्थापित लोकसभा में ‘धर्म चक्र प्रवर्तनाय’ का प्रयोग किया गया है। इस का चयन संविधान निर्माताओं ने किया है. धर्म चक्र का उपासना पद्धति से कोई संबंध नहीं है।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि संविधान निर्माताओं की नजर में धर्म की अवधारणा व्यापक थी। इसलिए धर्म को रिलीजन कहना ठीक नहीं होगा। मीडिया में अक्सर उपयोग होने वाला राष्ट्रवाद शब्द भी पश्चिमी देशों से आया है। यूरोप और पश्चिम के देशों का राष्ट्रवाद और भारत का राष्ट्रीयत्व दोनों पूर्णतः भिन्न हैं। लेकिन फिर भी हम राष्ट्रवाद शब्द का प्रयोग करते हैं। ऐसे गलत शब्द के प्रयोग से हमें बचना चाहिए। पत्रकारों को शब्दों का चयन और प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए।
मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि अमरिका में 9/11 का आतंकी हमला होने के बाद वहां के पत्रकारों ने रोते-बिलखते लोग और बर्बादी का दृश्य टीवी और समाचार पत्रों में नहीं दिखाया। जपान में सुनामी आने के बाद हुई बर्बादी को जापानी पत्रकारों ने फोकस नहीं किया। बल्कि वहां के लोगों की दरियादिली को दिखाया। साथ ही प्राकृतिक आपदा का सामना करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया। डॉ. वैद्य ने विदेशी पत्रकारों के इस चरित्र का भारत में अनुकरण करने की आवश्यकता पर बल दिया।
समारोह में वरिष्ठ पत्रकार अनंत कोलमकर, मीडियाकर्मी कुमार टाले, कर्नल अभय पटवर्धन को देवर्षि नारद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शाल, स्मृति चिन्ह व 11 हजार रुपए की राशि प्रदान की गई। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार राजाभाऊ पोफली और कमलाकर धारप जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
समारोह के अध्यक्ष, महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति रजनीश शुक्ल ने उत्पत्ति, स्थित और लय के सिद्धांत पर प्रकाश डाला। उन्होंने देवर्षि नारद के आदर्श और ध्येयनिष्ठा को आधुनिक पत्रकारिता में प्रयोग करने का आह्वान किया। तथा रिअल टाईम जर्नलिज्म के साथ मानवीय मूल्यों और गरिमापूर्ण आचरण पर बल दिया।