: vskjharkhand@gmail.com 9431162589 📠

परिवार और पर्यावरण को संरक्षण देने के संकल्प के साथ बैठक सम्पन्न

रांची (17 फरवरी) : राष्ट्र सेविका समिति की तीन दिवसीय ( १४ से १७ फरवरी ) अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक रांची अवस्थित सरला बिरला विश्वविद्यालय के सभागार में आज सम्पन्न हुई।इस बैठक में हुए चिंतन के सार के रूप भारत को परम् वैभव तक ले जाने के लिए कृत संकल्पित बहनों ने अनेक पाठ को आत्मसात किया।

VSK 17 02 20 2त्रिदिवसीय इस बैठक में कहा गया कि किसी भी देश की पहचान उसके समाज, समाज के व्यवहार, उसकी कृति एवं उसके घरों से होती है । घर कहते ही पवित्रता,स्वच्छता, शुद्धता, धार्मिकता, आत्मीयता, संस्कार, सत्संगव, सादगी, समरसता, सत्य प्रियता आदि शब्दों का स्मरण होने लगता है। हिंदू घर से अपेक्षा है कि वह हिंदुत्व के संस्कारों का प्रकटीकरण, हिंदुत्व भाव का जागरण एवं परस्पर आत्मीयता,श्रद्धाभाव तथा अतिथि सम्मान हो।यह सब हम नारियों के कंधों पर ही है।हमसब अपनी शाखाओं पर अपनी बहनों के बीच ऐसे सशक्त भारत की कल्पना को साकार करने की हिंदुत्व भाव को जागृत करते है। डॉ एनी बेसेंट ने कहा था- "हिंदुत्व ही वह मिट्टी है जिसमें भारत की जड़ें गहरी जमी हुई है, और यदि उस भूमि से उसे उखाड़ दिया गया तो भारत वैसे ही सूख जाएगा जैसे कोई वृक्ष भूमि से उखाड़ने पर सूख जाता है।

VSK 17 02 20 3तीन दिनों तक चली इस गहन बैठक में नारीशक्ति के स्वाभिमान को जागृत करते हुए कहा गया कि "मातृशक्ति गुरु से भी अधिक वंदनीय हैं, क्षमा की प्रतिमूर्ति है, साक्षात ईश्वर का स्वरूप है। विश्व कल्याण की प्रतिमा है।नारी के बिना नर अपूर्ण है। हिंदू संस्कृति का प्रधान केंद्रीय तत्व भाव संवेदना है इस गुण की प्रचुरता जिसमें है वह नारी शक्ति ही संस्कृति के विकास में एक धुरी की भूमिका निभाती आई है।विश्व मे हिन्दू चिंतन ही नारी को सर्वोपरि सम्मान देती है। सेमेटिक मजहब में प्रकृति व स्त्री भोग की वस्तु मानी गई,इससे नैतिक पतन बढा है। भारत की महान संस्कृति का संरक्षक यदि कोई है तो वह अपनी मातृशक्ति ही है।संस्कृति का अर्थ है किसी भी समाज में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित किए जाने वाले जड़ पदार्थों कल्पनाओं प्रतिको मतों भावों,मूल्यों और सामाजिक शैलियों का संचय करना रहा है। 

VSK 17 02 20 copyबैठक के समापन के उपरांत राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय प्रमुख संचालिका मा वी.शांता कुमारी उपाख्य मा शांता अक्का जी ने सरल बिरला विश्वविद्यालय परिसर में नीम के पेड़ का रोपण कर पर्यावरण को संरक्षण करने की सन्देश दी।उन्होंने कहा कि भूमि, जल,वायु, जीव जंतु और वनस्पतियों के रूप में वाह्य पर्यावरण और आत्मा के रूप में आंतरिक पर्यावरण दोनों ही परमात्मा के बनाए हुए हैं ।उनकी एकात्मता को समझा जाना चाहिए। इसके नष्ट होने से प्रदूषण होती है ।आज पर्यावरण में असंतुलन पैदा हुआ है इसके हम सब दोषी है।अपनी परंपराओं में वृक्षारोपण एक अति महत्वपूर्ण कार्य माना गया है।इसे धार्मिक दृष्टि से भी संरक्षण मिला है ।पीपल ,बरगद ,नीम, तुलसी जैसे पौधे हम हिंदू परंपराओं की चिर चिर प्रगति का प्रतीक का चिन्ह रहा है और हमें हर मंगल कार्यों पर पर्यावरण के प्रति अपनी दृष्टि, अपने पीढ़ियों में केंद्रित करने के लिए वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना चाहिए।

इस अवसर पर महानगर कार्यवाहिका शालिनी सचदेव,प्रान्त कार्यवाहिका शारदा जी,संचालिका उषा जी,त्रिपुला जी एवम अखिल भारतीय अधिकारी सुनीता हलदेकर, अलका ईमानदार,सुलभा देशपांडे,सहित सैकड़ों बहने उपस्थित थी।


Kindly visit for latest news 
: vskjharkhand@gmail.com 9431162589 📠 0651-2480502