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सीएए मानवता के हित में और भारतीय परम्पराओं के अनुकूल

VSK 09 01 20 2रांची, 09 जनवरी  : साहेबगंज , पोखरिया स्थित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय सभागार (टाउन हॉल) परिसर में संस्था श्री मधुसूदन गोपाल देव जी स्मृति न्यास की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित एक बंगलादेशी शरणार्थी गौतम राय ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों पर होने वाले जुल्म व हृदय विदारक परिस्थितियों का वर्णन किया तथा बताया कि यह मज़हबी जेहादी जुल्म आज भी बंगलादेश में चल रहा है। उसने बताया कि 1947 में पंजाब और बंगाल को तोड़कर पाकिस्तान का निर्माण किया गया। विभाजन होते ही कट्टर मौलवियों के नेतृत्व में मुस्लिम भीड़ गावो को घेर कर पेट्रोल से घरों में आग लगा दिया करते थे, पुरुषों को कत्ल कर दिया करते थे तथा महिलाओं को जबरन उठा ले जाते थे। उनके दादाजी व पिताजी जंगलों तालाब व जलीय झाड़ियों में छिप कर किसी प्रकार सीमा पार कर भारत आये थे। उसने बताया कि वह सपरिवार पूर्वी नारायणपुर में शरण ले रखा है। उनके बच्चे मेधावी होने के बावजूद भी नौकरी या कोई भी सरकारी लाभ से वंचित है। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री राजीव कुमार जो पेशे से टैक्स कंसलटेंट हैं ने किया। उन्होंने बताया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 भारत की परम्पराओं व मानवीय मूल्यों की रक्षा राष्ट्रीय संकल्प हेतु अति आवश्यक है।
VSK 09 01 20 3कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर जी ने वर्तमान अधिनयम (CAA) के महत्व एवं आवश्यकता को रेखांकित करते हुए बताया कि 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो की धर्म संसद में पांच मिनट के शून्यकाल में जब यह बताया कि मैं उस देश से आया हूँ जिसने पूरे विश्व के लाखों करोड़ों प्रताडितों और पीड़ितों को शरण दिया है, तभी से वह पूरे सदन व मीडिया में छा गए। उन्होंने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस ने 1942 में अखण्ड भारत का प्रस्ताव पास किया था। 1943 में देश के अग्रणी नेताओं ने रावी नदी के जल से पूर्ण स्वराज्य का संकल्प लिया था। गांधी जी व नेहरू ने कहा था मेरी लाश पर ही देश का विभाजन होगा। परन्तु 03 मई 1947 के शिमला बैठक में विभाजन पर सहमति प्रदान कर दिया। सबों को सबसे अधिक हैरानी तब हुई जब कांग्रेस कार्य समिति ने भी विभाजन पर मुहर लगा दिया। देश के विभाजन की कीमत पर अंग्रेजी सत्ता का हस्तांतरण होने के पश्चात तत्कालीन पूर्वी व पश्चिमी पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों के कत्ले आम जगजाहिर हैं, मारे गए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाईयों के परिवार की महिलाओं का अपहरण, बलात्कार व धर्म परिवर्तन की अनगिनत घटनाओं का इतिहास साक्षी है। तब से ही मज़हबी हिंसा व भेदभाव निरन्तर जारी है। दिनांक 08 अप्रैल 1950 में इसी विषय पर नेहरू लियाकत समझौता हुआ था जिसमें दोनों देश अपने अपने अल्पसंख्यकों को संरक्षण की बात कहा था। भारत ने समझौते का पालन बढ़ चढ़ कर किया परन्तु पाकिस्तान व बाग्लादेश ने कोई पालन नही किया। कत्लेआम, नाबालिग बच्चियों का अपहरण, बलात्कार, जबरन निकाह व धर्मपरिवर्तन चलता ही रहा, पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी तीन प्रतिशत व बांग्लादेश में आठ प्रतिशत से भी कम रह गया है।
25 नवम्बर को महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान में 1947 के बाद भी रह गए नागरिकों के प्रति हम सदैव जिम्मेदार रहेंगे। उन्होंने तरुण गोगोई, प्रणव मुखर्जी, इंद्रजीत गुप्त जैसे नेताओं को उद्धरित करते हुए तथा ममता बनर्जी के 2005 के एन आर सी के पक्ष में दिए भाषण को भी उद्धरित किया। उन्होंने बताया कि सी ए ए का वर्तमान विरोध राजनीतिक है तथा देशहित में नही है। साथ ही लोगों से कहा यह कानून दलितों शोषितों पीड़ितों को सामुहिक रूप से नागरिकता देने का कानून है। इससे किसी की भी नागरिकता समाप्त नही होगी। अपने पूरे विश्व के पीड़ितों को शरण व नागरिकता देने का प्रावधान है। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया तथा कहा कि इससे किसी को भी डरने का कोई कारण नही है। कार्यक्रम पूर्णतया व्यवस्थित एवं अनुशासित रूप में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में विभिन्न व्यवसायिक क्षेत्रों के अग्रणी बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, छात्रों, महिलाओं, एवं जिज्ञासु नागरिकों ने भाग लिया। अंत मे कार्यक्रम की पूर्ण सफलता के लिए न्यास की ओर से सबको धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

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