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झारखंड को अफीम का अफगान बनाने की साजिश : डॉ. शारदा वंदना

रांची , 28 फरवरी  : झारखंड में दूरदराज के इलाकों में अफीम की खेती लहलहा रही है। अफीम जैसे नशीले पदार्थों की खेती से नक्सली संगठनों को फंड मिल रहा है। अफीम के खेतों की सुरक्षा के लिए कई किसानों को मोटी रकम भी दी जाती है। पुलिस अफीम की खेती को रोकने की कोशिश में लगी है, लेकिन सारी कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। लिहाजा, अफीम का उत्पादन आगे अभी और बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में पुलिस को अब इस बात का डर सता रहा है कि कहीं यह जहर नई मुसीबतें न पैदा कर दे। यह नक्सलियों के लिए सबसे बड़ा आर्थिक स्रोत है। राज्य के 17 जिलों के 37 थाना क्षेत्रों में अफीम की खेती होती है।
इधर, उग्रवादियों की शरणस्थली रहा खूंटी अफीम की अत्यधिक खेती के कारण अफगान बनने की राह पर है। अमर स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की धरती इन दिनों अफीम और गांजा की खेती को लेकर फिर सुर्खियों में है। वैसे तो उग्रवाद प्रभावित व आदिवासी बहुल खूंटी जिले का अफीम की खेती से पुराना रिश्ता रहा है। खूंटी के ग्रामीण इलाकों में पिछले कई सालों से अफीम की अवैध खेती हो रही है। झारखंड पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार 2001 से खूंटी जिले के मारंगहदा में अफीम की खेती की शुरूआत हुई। कांकी, बंडरा, सिलादोन में अफीम की खेती से शुरू हुई और पत्थलगड़ी भी उसी रास्ते से होकर गुजरी। खूंटी में अफीम की खेती को माओवादियों का भी संरक्षण प्राप्त है। जमीन मालिकों या किसानों को अफीम की खेती के लिए पैसे माओवादी ही मुहैया करवाते हैं। साथ ही अफीम की फसल की निगरानी से लेकर पुलिस प्रशासन को बाहर रखने का काम करते हैं। वे किसानों को मोटी रकम का प्रलोभन देकर इसकी खेती करवाते हैं।
खूंटी में जिला गठन के बाद ही अफीम की अवैध खेती का बीज पड़ चुका था। धीरे-धीरे यह विकराल रूप लेता गया और स्थिति यह है कि अब जिले के सभी छह प्रखंडों के हजारों एकड़ जमीन में अफीम और गांजा की खेती की जा रही है। जिस मात्रा में जिले में गांजा और अफीम की खेती हो रही है, उसको देखकर लोग कहने लगे हैं कि कही खूंटी जिला अफगानिस्तान बनने की राह पर तो नहीं है। कुछ साल पहले तक जिले में सिर्फ अड़की प्रखंड में ही अफीम की खेती होती थी, पर अब इसका दायरा सभी छह प्रखंडों तक बढ़ चुका है। तेजी से फैल रही गांजा की खेती ने एक ओर जहां पुलिस प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, वहीं आम लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि मादक पदार्थों की खेती और तस्करी इसी प्रकार जारी रही, तो न जाने आने वाली पीढ़ी का क्या होगा।
जिले के अड़की, मांरगहादा, सायको, तोरपा, खूंटी, मुरहू, थाना के सुदूरवर्ती पहाड़ी इलाकों में नजर डालें, तो हर ओर खेतों में गुलाबी, लाल और सफेद रंग की लहलहाती फसल देखकर आपको लगेगा कि कहीं यह फूलों की घाटी तो नहीं, पर स्थानीय लोग कहते हैं कि यह मादक पदार्थ की खेती है, जिससे क्षेत्र का नुकसान तय है। जानकारों की मानें, तो अब भी जिले में हजारों एकड़ खेत में अफीम की फसल अवैध रूप से उगायी जा रही है।
जानकार बताते हैं कि पहले झारखंड में सिर्फ चतरा जिले में अफीम की खेती होती थी, लेकिन तस्करों की नजर खूंटी जिले के सीधे सादे आदिवासियों पर पड़ी। उन्होंने किसानों को समझाया कि धान की फसल के बाद खेत खाली रहती है। यदि वहां अफीम की खेती की जाए, तो काफी लाभ होगा। अफीम से मिलने वाली आमदनी को देखकर गांव के गांव इसकी खेती करने लगे। पहली बार 2017 में अफीम की खेती के खिलाफ पुलिस ने जोरदार कार्रवाई शुरू की। उस वर्ष पुलिस ने लगभग डेढ़ हजार एकड़ खेत में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया था। 2018 में 1144 एकड़ क्षेत्रफल में लगी फसल नष्ट की गयी थी। पिछले वर्ष भी 710.85 एकड़ की अफीम फसल को पुलिस ने खत्म कर दिया था। 2020 में भी पुलिस लगभग डेढ़ सौ एकड़ में लगी फसल नष्ट कर चुकी है। इसके बाद भी पहाड़ी और जंगली इलाकों में पोस्ते की खेती की जा रही है। अब तक 148 लोगों की गिरफ्तारी, 239 किलो अफीम बरामद पुलिस ने अफीम की खेती और तस्करी के आरोप में अब तक 148 लोगों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा है। 2017 में 14 लोगों की गिरफ्तारी हुई। 2018 में 40 लोग पकड़े गये। इसी प्रकार 2019 में 83 लोग अफीम की खेती और कारोबार के आरोप में गिरफ्तार किये गये। 2020 में जनवरी माह में पांच लोग पकड़े जा चुके हैं। जानकारी के अनुसार पुलिस ने अब तक 239 किलो अफीम और 50 किलो डोडा भी बरामद किया है। अफीम तस्करों के पास से अब तक 37 लाख 80 हजार 850 रुपये नकद बरामद किये गये हैं। इसके अलावा दर्जनों कार, बाइक, ट्रक, टैंपू, मोबाइल आदि बरामद किये गये हैं।
जारी रहेगा पुलिस का अभियान  : इस संबंध में अवैध अफीम की खेती के संबंध में खूंटी एसपी आशुतोष शेखर ने कहा कि अफीम और गांजा की खेती और कारोबार के खिलाफ पुलिस का अभियान जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि लोगों को अफीम और गांजा की खेती के खिलाफ पुलिस द्वारा लगातार जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों से अपील की गयी है वे नशे की खेती और इसके अवैध व्यवसाय से दूर रहें, अन्यथा उन्हें जेल जाना पड़ेगा।
इधर, खूंटी के अलावा पलामू जिले के मनातू थाना क्षेत्र में अफीम की फसल सर्वाधिक लगाई जाती है। पुलिस हर महीने इस इलाके में अफीम की फसल को नष्ट करती है। इसके बावजूद यह कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। 9 फरवरी को पुलिस ने इस क्षेत्र के कुंडीलपुर गांव में एक अभियान चला कर 8 से 40 एकड़ में लगे पोस्ता के फसल को नष्ट किया। जिस इलाके में पोस्ता का फसल लगा हुआ था वह इलाका अतिनक्सल प्रभावित है और जंगलों से घिरा हुआ है। पोस्ता से अफीम तैयार करने वाले गिरोह ने भारी मात्रा में पोस्ता की खेती लगाया था। अभियान एसपी अरुण कुमार सिंह के नेतृत्व में यह अभियान चलाकर पोस्ता की खेती को नष्ट किया गया है। मनातू के इलाके में 2017-18 में कई एकड़ से भी अधिक में पोस्ता के फसल को नष्ट किया गया था। इस दौरान करीब दो दर्जन लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। पुलिस ने एक सूची तैयार किया था। फसल लगाने वालों को रडार पर लिया था। बावजूद मनातू के इलाके में पोस्ता की फसल बड़े पैमाने पर लगाई गई है।
बताया जाता है कि जनवरी- फ़रवरी के महीने में पोस्ता के फसल में लगे फूल से अफीम तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। पोस्ता के फसल को लेकर पुलिस ने जागरूकता अभियान शुरू किया था और अभियान में स्थानीय जनप्रतिनिधि को शामिल किया था। इसके बावजूद खेती लगातार जारी है। इलाके में पोस्ता का फसल लगा हुआ था, वह इलाका मनातू एक्शन प्लान में शामिल है। पुलिस हर वर्ष इस इलाके से पोस्ते की फसल को नष्ट करती है। इसके बावजूद अफीम से जुड़े तस्कर पोस्ता की खेती करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इस संबंध में मनातू थाना प्रभारी संतोष कुमार सिंह का कहना है कि कि पोस्ता की खेती रोकने के लिए लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि जिस इलाके में पोस्ता की खेती लगी है वहां के की सूचना पुलिस को दें, पुलिस तत्काल कार्रवाई करेगी।
राज्य के 17 जिले जहां अफीम की होती है खेती
रांची :  नामकुम थाना क्षेत्र
खूंटी : खूंटी व मुरहू थाना क्षेत्र
सरायकेला खरसांवा : चौका थाना क्षेत्र
गुमला : कामडारा थाना क्षेत्र
लातेहार : बालूमाथ, हेरहंज व चंदवा थाना क्षेत्र
चतरा  : लावालौंग, सदर, प्रतापपुर, राजपुर, कुंदा, विशिष्ठनगर
पलामू :  पांकी, तरहसी, मनातू
गढ़वा : खरौंदी
हजारीबाग :  तातुहरिया, चौपारण
गिरिडीह : पीरटांड, गनवा, डुमरी, लोकनयानपुर, तिसरी
देवघर :  पालाजोरी
दुमका :  रामगढ़, शिकारीपाड़ा, रनेश्वर, मसलिया
गोड्डा :  माहेरवान
पाकुड़ :  हिरणपुर
जामताड़ा :  नाला, कुंडीहाट
साहेबगंज :  बरहेट, तालीहारी

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