नववर्ष उत्सव : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भव्य आयोजन
31 मार्च, 2025 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राँची महानगर द्वारा नववर्ष उत्सव (वर्ष प्रतिपदा) का आयोजन आज राँची के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के फुटबॉल मैदान में धूमधाम से किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, श्री शनिचरवा उरांव (वरीय प्रबंधक, झारखंड ऊर्जा विकास निगम) ने नववर्ष उत्सव के सफल आयोजन और सामाजिक चेतना के प्रसार के लिए संघ की सराहना की। उन्होंने कहा, "झारखंड में हम सब मिलकर नववर्ष मनाएं, जैसे प्रकृति पुष्पित-पल्लवित हो रही है, वैसे ही हम नए विचारों के साथ राज्य को बेहतर बनाने का संकल्प लें।"
प्राकृतिक परिवर्तन और नववर्ष का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
श्री कुणाल कुमार जी ने अपने उद्बोधन में प्रकृति में हो रहे परिवर्तनों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जैसे पेड़ों में नई कोपलें आना, हरियाली का बढ़ना और नवरात्रि की शुरुआत। उन्होंने इसे नववर्ष के वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संदर्भ में प्रस्तुत किया, highlighting how these natural changes symbolize new beginnings and energies.
वर्ष प्रतिपदा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
उन्होंने बताया कि नववर्ष (वर्ष प्रतिपदा) पूरे देश में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, जैसे श्रीराम का राज्याभिषेक, युधिष्ठिर का राज्याभिषेक, महर्षि दयानंद की आर्य समाज स्थापना, विक्रमादित्य महाराज का राज्याभिषेक आदि। यह दिन सृष्टि के सृजन का प्रतीक है, जब ब्रह्मा जी ने 'एकोहं बहुस्याम' की संकल्पना के साथ सृष्टि की शुरुआत की थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना और उद्देश्य
डा. केशव बलिराम हेडगेवार जी की जयंती पर, जिन्होंने हिंदू समाज को एकजुट करने के लिए संघ की स्थापना की, उनके योगदान को याद किया गया। स्वामी विवेकानंद और बाबा साहेब अंबेडकर के उद्धरणों के माध्यम से समाज में एकता और जागरण की आवश्यकता पर बल दिया गया। डा. साहब के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, संघ समाज के सर्वांगीण उन्नति के लिए निरंतर कार्यरत है।
समाज में एकता की आवश्यकता
उद्बोधन में समाज में व्याप्त बिखराव के कारण देश के विभाजन की चर्चा की गई। महर्षि अरविंद की भविष्यवाणी के अनुसार, विभाजन के बाद के वर्षों में समाज में एकता की दिशा में प्रयास तेज हुए हैं। संघ ने सामाजिक जागरण के माध्यम से समाज को एकजुट करने का निरंतर प्रयास किया है, जिसमें समाज का भरपूर सहयोग मिला है। शताब्दी वर्ष में शाखाओं के माध्यम से इस प्रयास को और गति देने का संकल्प लिया गया है।
इन बिंदुओं के माध्यम से श्री कुणाल कुमार जी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी व्यक्तियों को समाज की एकता, सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्र निर्माण में संघ के योगदान के प्रति जागरूक किया।
समाज के लिए संघ का योगदान
समाज में व्याप्त बिखराव के कारण देश का विभाजन हुआ था। महर्षि अरविंद की भविष्यवाणी के अनुसार, विभाजन के बाद के वर्षों में समाज में एकता की दिशा में प्रयास तेज हुए हैं। संघ ने सामाजिक जागरण के माध्यम से समाज को एकजुट करने का निरंतर प्रयास किया है, जिसमें समाज का भरपूर सहयोग मिला है। शताब्दी वर्ष में शाखाओं के माध्यम से इस प्रयास को और गति देने का संकल्प लिया गया है।
कार्यक्रम में श्री देव व्रत पाहन (क्षेत्र संघचालक), क्षेत्र कार्यकारिणी के सदस्य, दीदी सुनीता हल्देकर (सह-सरकार्यवाहिका, राष्ट्र सेविका समिति), विभाग संघचालक विवेक भासीन, महानगर संघचालक पवन मंत्री सहित संघ एवं अनुषांगिक संगठनों के अनेक अधिकारी उपस्थित थे। 685 पूर्ण गणवेशधारी स्वयंसेवक, 282 पुरुष और 52 मातृशक्ति ने उत्साहपूर्वक कार्यक्रम में भाग लिया।
संदेश
संघ शताब्दी कार्यक्रम में कोई विशेष कार्यक्रम आयोजित नहीं करेगा; केवल एक ही लक्ष्य होगा: हर बस्ती में शाखा का संचालन। कार्यक्रम के समापन पर माँ दुर्गा का आशीर्वाद लिया गया, जिससे सभी का मंगल हो।