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श्रद्धेय जगदेवराम ओरांव चित्रावली पुस्तक विमोचन एवं श्रधांजलि समारोह संपन

श्रद्धेय जगदेवराम ओरांव चित्रावली पुस्तक विमोचन एवं श्रधांजलि समारोह संपनरांची, 31 जुलाई  : वनवासी कल्याण केंद्र के प्रांतीय मुख्यालय के सभागार में श्रद्धेय जगदेवराम ओरांव जी का चित्रावली पुस्तक विमोचन एवं श्रधांजलि समारोह संपन हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ कामिनी कुमार, विशिट अतिथि सत्येन्द्र सिंह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, प्रान्त प्रचारक मा. दिलीप जी, प्रान्त के अध्यक्ष डॉ हरिप्रकाश नारायण जी ने दीप प्रज्जवलित कर बिधिवत उदघाटन किया।

समारोह के प्रस्तावना श्री संदीप ओरांव जी ने जगदेवराम जी के 75 चित्रों के चित्रावली पुस्तक का विवरण प्रस्तुत किया तथा उनके जीवन पर भी प्रकाश डाले।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सत्येन्द्र सिंह जी ने संबोधित करते हुए कहा कि जगदेवराम ओरांव जी की प्रथम पूण्यतिथि मनाई जा रही है। उनके 25 वर्षों का कार्यकाल का लाभ देश एवं समाज को मिला। देश के सेवा जो आदिवासी समाज ने बलिदान दिया उसका एक सूत्र में बांधने का कार्य किया।

समारोह मुख्य अतिथि डॉ कामिनी कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि जगदेवराम जी के कार्यों यादगार करने के लिए किया इसके मैं धन्यवाद देती हूँ। श्रद्धेय जगदेवराम ओरांव चित्रावली पुस्तक विमोचन करते हुए कहा कि जगदेवराम जी महान पुरुष थे। उसके कार्यो को आगे बढ़ाते हुए बताया की जनजाति समाज का सर्वागीण विकास के लिए संगठन प्रयत्नशील है।

समारोह में झारखण्ड के नागपुरी गायक श्री लक्ष्मी कान्त नारायण एवं श्री बजरंग साहू ने गीत गाकर सबको मंत्र मुग्ध कर दिया।
श्रद्धेय जगदेवराम ओरांव चित्रावली पुस्तक विमोचन एवं श्रधांजलि समारोह संपनमुख्य वक्ता मा. दिलीप जी ने कहा की दायित्व भाव से सभी कार्यकर्ता काम करते हैं। एक आदर्श स्वयं सेवक कैसा होता है इसपर ब्याख्या किया गया है। जगदेवराम जी जीवन बिल कुल संत जैसा था। संगठन को एक लंबे समय तक अभिभावक के रूप कार्य करते रहे। एक आदर्श कार्यकर्ता स्वयं सेवक के रूप में जानते हैं। जनजाति समाज का हित कैसे हो। हितरक्षा कैसे हो। महिला कार्य, युवा कार्य अन्य कार्यो से समाज का कैसे विकास हो। वृक्ष को खड़ा होने में बीज गलना पड़ता है। समाज का विकास होना चाहिए, अस्मिता की रक्षा होनी चाहिए, जगदेवराम जी भारत रत्न थे। वे बिना निश्वार्थ भाव से तन मन धन से कार्य किया। ये पुस्तक उनका जीवित झांकी है एवं कार्यकर्ताओं का प्ररेणा देनेवाला पुस्तक है।

श्रद्धेय जगदेवराम ओरांव चित्रावली पुस्तक विमोचन एवं श्रधांजलि समारोह संपनसमारोह के अध्यक्षता करते हुए कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम 600 जनजातियों के बीच सीधे सेवा कार्य कर रही है। हजारों कार्यकर्ता इस काम को रात-दिन कर रहे हैं। इसी कड़ी में जगदेवराम जी एक उच्च कोटि के संत थे जो अपना समाज और राष्ट्र में समर्पित कर दिया। उसका स्मरण करना हीं श्रधांजलि है।
इस समारोह में नगर एवं गांव से काफी संख्या में उपस्थित थे। जिसमें प्रमुख रूप से मा. राकेश लाल, मा. कृपा प्रसाद सिंह, बी.एन.झा, पी.डी. सिंह, अर्जुन राम, नकुल तिर्की, लाला ओरांव, जीतराम मुंडा, प्रतिभा गोएल, ममता सिन्हा, आरती कुजूर, पिंकी खोया, नूतन पाहन, बिनोद उपाध्याय, बिन्देश्वर साहू, देवनंदन सिंह, पवन मत्री, सुनील फकीरा, बिरेन्द्र सिंह, डॉ. जीवाधन प्रसाद, सुलेखा कुमारी प्रमुख रूप से उपस्थित थे। समारोह का संचालन श्री सोम ओरांव एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रदेश महामंत्री श्री रिझु कछाप जी ने किया।

तुलसी प्रसाद गुप्ता
प्रांत प्रचार-प्रसार प्रमुख ,वनवासी कल्याण केंद्र


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