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पश्चिम बंगाल में नागरिकों के संरक्षण हेतु अविलम्ब राष्ट्रपति शासन : झारखंड प्रबुद्ध प्रतिनिधि मंडल

पश्चिम बंगाल में नागरिकों के संरक्षण हेतु अविलम्ब राष्ट्रपति शासन : झारखंड प्रबुद्ध प्रतिनिधि मंडलरांची, 25 मई : झारखंड के प्रबुद्ध नागरिकों का प्रतिनिधि मंडल आज पश्चिम बंगाल में वर्तमान सरकार की बर्खास्तगी एवं वहां के नागरिकों के संरक्षण हेतु अविलम्ब राष्ट्रपति शासन लगाने के सम्बन्ध में भारत के राष्ट्रपति को झारखंड के राज्यपाल के माध्यम से एक ज्ञापन सौपा गया। इस ज्ञापन में पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा गया है कि आज पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र,संविधान और बहुमत की आड़ में एक चुनी हुई सरकार द्वारा, स्थानीय असामाजिक तत्वों एवं स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर नागरिकों की हत्या,लूटपाट,आगजनी,अपहरण,उन्हें घरों से बेदखल कर पलायन को मजबूर करना, महिलाओं के साथ बलात्कार,अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या को बसाने एवं देशद्रोही गतिविधिओ जैसे अमानवीय असंवैधानिक कुकृत्य अपने चरमोत्कर्ष पर है।

ज्ञापन में वहां की स्थिति पर स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि आज वहां मानवता कराह रही है, एक चुनी हुई सरकार के साथ मिलकर, लोग दहशत भरी माहौल, जहां बमों के धमाके और जीने के अधिकार से बंचित निरीह जनता के प्रति, सरकार का व्यबहार अत्यंत घृणास्पद, अमानवीय एवं संविधान प्रदत सारे अधिकारो का हनन किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल के तीन हजार से भी अधिक हिन्दू बाहुल्य गांव के लगभग 70000 ( सत्तर हजार) से अधिक लोग इस सरकार समर्थित हिंसा के शिकार हुए है। 3886 स्थानों पर सम्पति के नुकसान सरकार समर्थित उपद्रवियों के द्वारा किये गये है।

प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल को दिए ज्ञापन में कहा है कि विचारों की भिन्नता लोकतंत्र की खूबसूरती है, संविधान की आत्मा है, इसी नाते संविधान निर्माताओ ने दो दलीय व्यवस्था के बजाय बहुदलीय शासन को चुना, किंतु आज पश्चिम बंगाल में सरकार जिस तरह से वैचारिक विरोधियों का कत्ल, उनके सम्पति का लूटपाट, आगजनी,महिलाओं के साथ सामुहिक बलात्कार,उनकी सम्पति को जबर्दस्ती दखल करना, उन्हें वोट देने से बंचित करना जैसे अलोकतांत्रिक कार्य भारत की संविधान की धज्जी उड़ाने जैसा है ऐसे में हम नागरिक आपके संरक्षण में जीने की राह देख रहे है ।

अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या को बसने के कारण, पश्मिम बंगाल के स्थानीय नागरिक, पलायन को मजबूर है ये अवैध प्रवासी, अपराध, हत्या, अपहरण,नशा व गौ तस्करी के साथ साथ स्थानीय नागरिको के बीच ऐसा दहशत भरा माहौल कायम कर रहा है की लोग अपने घरवार छोड़ जिन्दगी बचाने हेतु वहा से पलायन कर रहे है क्योंकि इन अवैध प्रवासी के ऊपर वर्तमान सरकार के अनेक नेताओं का साथ है जिसके कारण स्थानीय प्रशासन अपराधियों के बजाय स्थानीय नागरिको के उपर ही मुकदमे दर्ज करती आ रही है।

सरकार समर्थित हिंसा के कारण संबंधित थाने में पीड़ित का एफआईआर भी दर्ज नही किया जाता,मीडिया स्थानीय अपराधिओं व प्रशासन की सहमती के बगैर समाचारों का प्रेषण भी हिंसाग्रस्त स्थान पर नही कर सकते है।

02 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद चुनचुन कर उन परिवारों एवं व्यक्तिओं को निशाना बनाया जाने लगा जिन्हें वर्तमान सरकार यह मानती है की उक्त परिवार एवं व्यक्ति ने चुनाव में अपना मत मुझे नही दिया है।

पश्चिम बंगाल में महिलाओं के प्रति होनेवाले दर्ज अपराध में 2018 में कुल 30994, हत्या के 1933 घटना एवं इसी वर्ष 16027 बच्चो के लापता होनेके मामले दर्ज हुए। बेलगाम अपराधी और वेतहाशा बढते अपराध एक लोकतांत्रिक देश के माथे पर कलंक है जो नागरिकों को जीने के मौलिक अधिकार से बंचित करता है ऐसे में संविधान प्रदत्त धारा 356 का उपयोग जीवनरक्षक औषधि के रूप में पश्चिम बंगाल के नागरिकों के लिए है।

02 मई के चुनाव परिणाम में जैसे जैसे वर्तमान सरकार से सम्बन्धित राजनितिक दल का बढ़त बढ़ता गया वैसे वैसे वहां राजनितिक हिंसा भी चरमोत्कर्ष पर बढ़ता गया। लोग असम, झारखंड जैसे राज्यों में अपनी जिन्दगी बचाने भागने को मजबूर हुए, ऐसी विषम परिस्थितियों में मान्यवर वहां संविधान और लोकतंत्र के लिए अविलंब राष्ट्रपति शासन लागू हो।

वर्तमान सरकार एक निवाचित सरकार के बजाय एक तानाशाही शासक के रूप में पश्चिम बंगाल पर संविधान के विपरीत शासन कर रही है, खुद वर्तमान सरकार के इशारे पर वहाँ के राज्यपाल के साथ-साथ, केन्द्रीय संगठनों के सुरक्षा एवं नागरिक कार्यों में लगे नौकरशाहों के साथ जो व्यबहार किये जा रहे वह लोकतंत्र के संघीय ढाँचे पर प्रहार है।

राष्ट्रपति संविधान के सर्वोच्च संरक्षक है ऐसे में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा और निरीह जनता की सुरक्षा के लिए संविधान प्रदत्त अधिकारों का उपयोग कर मानवता को दानवता से बचाने हेतु वर्तमान सरकार पर कठोरतम कारवाई करने की मांग की गई है।


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