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कला क्षेत्र में सत्यम-शिवम-सुंदरम का भाव स्थापित करना ही बाबा योगेंद्र जी को सच्ची श्रद्धांजलि – डॉ. मोहन भागवत जी

कला क्षेत्र में सत्यम-शिवम-सुंदरम का भाव स्थापित करना ही बाबा योगेंद्र जी को सच्ची श्रद्धांजलि – डॉ. मोहन भागवत जीरांची, 20 जून नई दिल्ली, संस्कार भारती के संस्थापक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक पद्मश्री बाबा योगेंद्र जी की स्मृति में सत्य साईं इंटरनेशनल सेंटर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और राज्यसभा सांसद व प्रसिद्ध लोक नृत्यांगना सोनल मानसिंह उपस्थित रहे। सभी ने पुष्पांजलि द्वारा बाबा योगेंद्र जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

संस्कार भारती परिवार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शोक संदेश भी भेजा गया। उन्होंने बाबा योगेंद्र जी के निधन को कला जगत की अपूर्णीय क्षति बताया और शोक संतप्त कार्यकर्ताओं के प्रति अपनी संवेदना जताई।

कला क्षेत्र में सत्यम-शिवम-सुंदरम का भाव स्थापित करना ही बाबा योगेंद्र जी को सच्ची श्रद्धांजलि – डॉ. मोहन भागवत जीश्रद्धांजलि सभा में डॉ. मोहन भागवत जी ने बाबा योगेंद्र जी के देहांत को कला जगत की बड़ी हानि बताया। उन्होंने कहा कि संघ का आदर्श प्रचारक कैसा होना चाहिए, अब इसका ऐसा उदाहरण फिर आगे नहीं दिखेगा। उनके जीवन से चरितार्थ आदर्श हम सभी के सामने है और उसकी यह पावन परंपरा हमें आगे बढ़ानी है। यही उनका अस्तित्व अमर रखेगी। कला क्षेत्र में सत्यम शिवम सुंदरम का भाव स्थापित करना ही बाबा योगेंद्र जी के लिए संस्कार भारती के कलाकारों द्वारा उचित श्रद्धांजलि होगी।

राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह ने कहा कि “संस्कार भारती की नींव डालने वाले बाबा कलाकारों के भी कलाकार थे। बाबा सदैव लोगों के बीच उमंग और उत्साह बढ़ाते रहे। मुझे विश्वास है कि उनके विचारों को लेकर चलते हुए संस्कार भारती और भी अधिक सुसंस्कृत होकर समाज में प्रसारित होती रहेगी।

कला क्षेत्र में सत्यम-शिवम-सुंदरम का भाव स्थापित करना ही बाबा योगेंद्र जी को सच्ची श्रद्धांजलि – डॉ. मोहन भागवत जीदीनदयाल शोध संस्थान के महासचिव अतुल जैन ने बाबा जी के अधूरे कार्यों को पूरा करने का संकल्प लेते हुए चित्रकूट में तुलसी के राम और नाना के राम नाम से चित्रकारों के लिए वर्कशॉप के आयोजन की बात कही। उन्होंने बताया कि बाबा योगेंद्र अपने व्यक्तित्व को निखारने का श्रेय संघ प्रचारक और दीनदयाल शोध संस्थान के संस्थापक नाना जी देशमुख को दिया करते थे। संस्कार भारती के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री कृष्णमूर्ति ने बाबा योगेंद्र को संचार तपस्वी और संपर्क तपस्वी व्यक्ति बताया। उनके पास हज़ारों-हज़ारों कार्यकर्ताओं के साथ समान भाव के साथ संपर्क स्थापित करने का गजब का भाव था। भाषा से अधिक ह्रदय से संवाद करने वाले बाबा योगेंद्र जी का सम्पूर्ण जीवन तन समर्पित, मन समर्पित मनोभाव वाला रहा।

संस्कार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष वासुदेव कामत ने उन्हें नवोदित कलाकरों पर विशेष ध्यान रखने वाला व्यक्ति बताया। वह एक मैं नहीं तू ही, का भाव रखकर कलाकारों का ध्यान रखने वाले कलाऋषि थे। उन्होंने अंतिम समय तक कलाकारों को ढूंढने और उन्हें साथ जोड़ने की बात की।

निधन पर संघ ने शोक व्यक्त किया था।

संस्कार भारती के संरक्षक श्री योगेंद्र जी के निधन से एक ज्येष्ठ प्रचारक के साधक जीवन का अंत हुआ। असंख्य कार्यकर्ताओं को एक अभिभावक के वियोग का अनुभव होना सहज ही है। वे एक तपस्वी थे।

संगीत व कला क्षेत्र के राष्ट्र निष्ठ साधकों को एक मंच पर लाना उनके जीवन की साधना थी। विनम्रता के साकार रूप रहे पद्मश्री सम्मानित बाबा योगेन्द्र जी का जीवन सदैव प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

दिवंगत आत्मा को परम पिता अपने श्री चरणों में स्थान दें।

ओम् शांतिः

मोहन भागवत, सरसंघचालक

दत्तात्रेय होसबाले, सरकार्यवाह

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ


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