: vskjharkhand@gmail.com 9431162589 📠

सनातन संस्कृति के संस्कार विश्व को आलोकित कर सकते हैं – डॉ. मोहन भागवत

सनातन संस्कृति के संस्कार विश्व को आलोकित कर सकते हैं – डॉ. मोहन भागवतरांची, 19 सितंबर  : उदयपुर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की आहुति देते हुए भारतवर्ष के लिए कार्य करने का मार्ग सहर्ष चुना। डॉ. हेडगेवार ने प्रारंभिक वर्षों में यह अनुभव किया कि स्वाधीनता मिलने के बाद भी पुनः हम पराधीन न हों, इस पर विचार करना होगा। संघ की स्थापना के मूल में यही चिंतन रहा। व्यक्ति निर्माण का कार्य संघ का लक्ष्य है। व्यक्ति निर्माण से समाज निर्माण, समाज निर्माण से देश निर्माण संभव है।

सरसंघचालक डॉ. भागवत रविवार को उदयपुर के विद्या निकेतन सेक्टर-4 में आयोजित प्रबुद्धजन गोष्ठी में संबोधित कर रहे थे। उदयपुर के गणमान्य नागरिकों को संघ के उद्देश्य, विचार व कार्य पद्धति के विषय पर उद्बोधन देते हुए सरसंघचालक ने कहा कि जो स्वयंसेवक अन्यान्य क्षेत्र में स्वायत्त रूप से कार्य कर रहे हैं, मात्र उन्हें देख कर ही संघ के प्रति किसी तरह की धारणा नहीं बनाई जा सकती। संघ विश्व बंधुत्व की भावना से कार्य करता है। संघ के लिए समस्त विश्व अपना है।

VSKJHK 19 09 2021 1उन्होंने कहा कि संघ को नाम कमाने की लालसा नहीं है। क्रेडिट, लोकप्रियता संघ को नहीं चाहिए। 80 के दशक तक हिन्दू शब्द से भी सार्वजनिक परहेज किया जाता था, संघ ने इस विपरीत परिस्थिति में भी कार्य किया। प्रारंभिक काल की साधनहीनता के बावजूद संघ आज विश्व के सबसे बड़े संगठन के स्वरूप में है। संघ प्रामाणिक रूप से कार्य करने वाले विश्वसनीय, कथनी करनी में अंतर न रखने वाले समाज के विश्वासपात्र लोगों का संगठन है। सभी हिन्दू हमारे बंधु हैं, यही संघ है। संघ की शाखा, संघ के स्वयंसेवक यही संघ है। समाज में सकारात्मक सेवा कार्य स्वयंसेवक स्वायत्त रूप से करते हैं।

सरसंघचालक ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार को उद्धृत करते हुए कहा कि वे कहते थे, हिन्दू समाज का संगठन भारत की समस्त समस्याओं का समाधान कर सकता है। हम सभी भारत माता की संतान हैं,  हिन्दू अर्थात सनातन संस्कृति को मानने वाले हैं। सनातन संस्कृति के संस्कार विश्व को आलोकित कर सकते हैं। हिन्दू की विचारधारा ही शांति और सत्य की है। हम हिन्दू नहीं है, ऐसा एक अभियान देश व समाज को कमजोर करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। जहां जहां विभिन्न कारणों से हिन्दू जनसंख्या कम हुई है, वहां समस्याएं उत्पन हुई हैं। इसलिए हिन्दू संगठन सर्वव्यापी बन कर विश्व कल्याण की ही बात करेगा। उन्होंने कहा कि हिन्दू राष्ट्र के परम वैभव में विश्व का ही कल्याण होगा।

हिन्दुत्व को सरल शब्दों में समझाते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों द्वारा कोरोना काल में किया गया निःस्वार्थ सेवा कार्य ही हिन्दुत्व है। इसमें सर्वकल्याण का भाव निहित है। संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने अनुभव किया था कि दिखने में जो भारत की विविधता है, उसके मूल में एकता का एक भाव है। युगों से इस पुण्य भूमि पर रहने वाले पूर्वजों के वंशज हम सभी हिन्दू हैं, यही भाव हिन्दुत्व है।

इससे पूर्व, सरसंघचालक डॉ. भागवत, राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक रमेशचंद अग्रवाल, महानगर संघचालक गोविन्द अग्रवाल द्वारा भारत माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम में अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य हस्तीमल व वरिष्ठ प्रचारक गुणवंत सिंह कोठारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम गायन के साथ हुआ।


Kindly visit for latest news 
: vskjharkhand@gmail.com 9431162589 📠 0651-2480502