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शायर के चोले में समाज में नफरत फैलाने का हक नहीं

शायर के चोले में समाज में नफरत फैलाने का हक नहींरांची, 31 अगस्त  मां के नाम पर संवेदनशील शायरी लिखने वाले मुनव्वर राणा का अंतर्मन कितना उजला है, उनके बयानों से स्पष्ट हो रहा है। रामायाण रचने वाले महार्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से करने वाले राणा ने साबित कर दिया है कि मन मंदिर में वे हिन्दू धर्म, संस्कृति और उसके प्रतीकों के विषय में घृणा भरे हुए हैं। मुनव्वर राणा के इस घृणा भरे बयान से देश भर में उनके खिलाफ नाराजगी पैदा हो रही है।

मां ने हंस दिया लो उजाला हो गया, कहने वाले मुनव्वर राणा को भारतीय समाज में बड़े इज्जत की नजरों से देखा जाता था। उनकी शायरी तमाम मंचों पर प्रशंसित होती थी तो हर बार मदर्स डे पर उनके कलाम लोगों के दिलों में रोशन होते थे। मां की ममता पर लिखी उनकी शायरी को हर मंच से दाद मिलती थी। इतने खूबसूरत शब्द लिखने वाले मुनव्वर राणा असल जिंदगी में मन से बहुत काले निकले हैं। वे आए दिन करोड़ों भारतवासियों के दिलों को छलनी करने वाली बातें करते हैं। हिन्दू संस्कृति और प्रतीकों का वे आए दिन मजाक उड़ा रहे हैं। उन्होंने अपने विवादित बयानों से भारतमाता का भी अपमान किया है।

कुछ समय पहले उन्होंने दावा किया था कि अगर मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनते हैं तो वे भारत छोड़ देंगे। राणा हालांकि इसके बाद भी भारत तो छोड़कर नहीं गए हैं, लेकिन वे आए दिन भारत देश को अंतरराष्ट्रीय जगत में बदनाम करने की कोशिश करते रहते हैं। उन्हें कभी भारत में रहने पर डर लगता तो कभी यहां का बहुसंख्यक समाज और हिन्दू धर्म उन्हें आततायी लगने लगता है।

मुनव्वर राणा ने अपने इन बयानों से साफ कर दिया है कि भले ही वे कलमकार होने का दंभ भरते हैं। मगर असल में उनका दिल और दिमाग अलग ही नफरत भरे विचारों से संचालित होता है। ये बीमारी सिर्फ राणा तक ही सीमित नहीं रही है। कुछ इसी तरह के आरोप-प्रत्यारोप और बयान इंदौर के एक और विवादित शायर राहत इंदौरी भी दे चुके हैं। हालांकि वे अब इस दुनिया में नहीं हैं, मगर अपने जीते जी उन्होंने भी कम जहर नहीं उगला है। सीएए कानून पास होने के बाद तो इंदौरी की शायरी समाज में विद्वेष का वातावरण बनाने में सबसे आगे देखी जा रही थी। इंदौरी ने इस कानून के खिलाफ पूरे देश में लोगों को भ्रमित करने और भड़काने को अनेक मंचों पर अपने कलाम पढ़े थे। राहत इंदौरी को भी हिन्दू प्रतीकों और आस्थाओं का मजाक उड़ाते हुए कई बार देखा और सुना गया।

सीएए कानून के विरोध में उन्होंने ऐसा वातावरण पैदा किया, जिससे करोड़ों मुस्लिमों के बीच प्रचारित भ्रामक संदेश फैला कि सीएए कानून मुस्लिमों के खिलाफ बनाया गया है और इस कानून का एकमात्र उद्देश्य मुसलमानों को देश से बाहर करना है। राहत इंदौरी ने देश में झूठ के इस वातावरण को उकसाने के लिए अपने जहर भरे कलाम देश भर में मुसलमानों के बीच पढ़े और उन्हें सरकार के खिलाफ हिंसक और उग्र प्रदर्शन के लिए उकसाया।

लगेगी आग तो सभी के घर आएंगे जद में, यहां केवल अपना मकान थोड़े ही है… जैसे हिंसा और आगजनी को उकसाते कलाम इंदौरी ने बार-बार पढ़े।

किसी सरकार की स्वस्थ आलोचना अलग बात है और किसी सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ निरंतर घोर नफरत और विद्वेष फैलाना अलग बात है। जिन वाल्मीकि की भारतीय समाज रामायण के रचयिता के रुप में पूजा वंदना करता है, उन्हें मुनव्वर आतंकवादी तालिबानियों की तरह बता रहे हैं। उन्होंने तालिबानियों की वाल्मीकि से तुलना करके हिन्दू समाज और उसकी आस्था का अपमान किया है। वे ऐसा पहली बार नहीं कर रहे हैं। हर बार हिन्दुत्व और उसके प्रतीकों का विरोध उनके एजेंडे में शामिल हो गया है। इस बार भी उन्होंने हिन्दुत्व का मान मर्दन करते हुए हमारे आदिपुरुष को हिंसक तालिबानी आतंकी की तरह बताया है। इसका समाज में पुरजोर विरोध हुआ है और ऐसा विरोध होना भी चाहिए। मुनव्वर राणा जैसों को समाज में शायर के चोले में जहर फैलाने की अनुमति कतई नहीं दी जा सकती। देश में किसी को भी किसी की धार्मिक मान्यताओं पर आतंक का हक नहीं है।


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