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लव जिहाद पर सख्त से सख्त क़ानून : समय की मांग

लव जिहाद पर सख्त से सख्त क़ानून : समय की मांगरांची, 26 नवंबर : लव जिहाद या रोमियो जिहाद और कुछ नहीं मुस्लिम पुरुषों अथवा युवकों द्वारा हिन्दू महिलाओं या युवतियों को छल कपट और बहला फुसलाकर प्रेम का स्वांग रचाकर इस्लाम कबूलने के लिए विवश करना है। मुस्लिम युवा अपनी पहचान छिपाकर न सिर्फ हिन्दू समुदाय की लड़कियों को बहलाते फुसलाते हैं, बल्कि घर से भगा कर उनका यौन शोषण करते हैं। शादी के लिए मजबूर कर जबरन धर्म परिवर्तन के लिए भी बाध्य करते हैं।

पहली बार वर्ष 2009 में केरल और कर्नाटक में लव जिहाद की अवधारणा सामने आई और आज एक दशक पूरा होने के बाद पूरे देश में चिंता का बड़ा सबब बन गयी है। भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन में इस्लामी जिहादी ताकतें सैकड़ों लव जिहाद के मामलों को अंजाम दे चुकी हैं। पाकिस्तान में आए दिन अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ी हिन्दू, सिक्ख और ईसाई नाबालिग बच्चियां शिकार बन रही हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में 2009, 2010, 2011 और 2014 से लगातार बढ़ रहे लव जिहाद के मामलों से हिन्दू, सिक्ख और ईसाई संगठन बेहद चिंतित हैं। केरल हाईकोर्ट वर्षों पूर्व लव जिहाद के बढ़ते मामलों को बड़ा खतरा बता चुका है।

लव जिहाद पर सख्त से सख्त क़ानून : समय की मांगभारत के अन्य राज्यों के साथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में लव जिहाद की घटनाएं प्रशासन के लिए सरदर्द और सामाजिक वैमनस्यता का कारण बन गयी हैं। देश के सभी राज्यों में लव जिहाद पर नियन्त्रण के लिए ठोस क़ानून की मांग के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 24 नवम्बर को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी गई है। इस कानून के लागू होने के बाद छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है। खासकर किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी को तीन से दस वर्ष तक की सजा भुगतनी होगी।

धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को स्वीकृति  देकर जबरन धर्मांतरण के मामलों में दो से सात साल तक की सजा के प्रस्ताव को सरकार ने और कठोर करने का निर्णय किया है। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी तीन से 10 वर्ष तक की सजा होगी। जबरन या कोई प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध माना जाएगा। दूसरे धर्म में शादी से दो माह पहले नोटिस देना अनिवार्य हो गया है। इसके साथ ही डीएम की अनुमति भी जरूरी हो गई है। नाम छिपाकर शादी करने पर 10 साल की सजा होगी।

उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने अध्यादेश का स्वागत करते हुए कहा कि बच्चियों को बहलाने-फुसलाने वालों के खिलाफ हम लगातार सख्त हैं, लव जिहाद के सिंडीकेट का खुलासा हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने किया था। दिनेश, रमेश, सुरेश नाम रखने वालों की जब जांच हुई तो वे मुख्तार, अंसार, रईस निकले । जो इस प्रकार का षड्यंत्र कर रहे थे, उनके खिलाफ कानून लाया गया है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी पिछले दिनों अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया कि शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है। लव जिहाद की व्याधि से परेशान राज्य चाहे कर्नाटक हो, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार अथवा केरल या पश्चिम बंगाल हो, देर सवेर सभी को इस्लामी जिहाद की इस घिनौनी चाल को रोकने के लिए ठोस क़ानून बनाना ही होगा। इसमें किसी समुदाय विशेष को टार्गेट करने की कोई बात नहीं है, यह क़ानून व्यक्तिगत विवाह की स्वतंत्रता को भी बाधा नहीं पहुंचाएगा। बल्कि यह बेटियों को सुरक्षा और अधिकार देगा। संवैधानिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता में शादी के बाद जबरन धर्म परिवर्तन को कैसे जायज माना जाए। जब क़ानून बनेगा तो उसमें भारत के सभी नागरिक आएंगे, फिर मुस्लिम समुदाय की चिंता की बात ही क्यों?


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