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गूगल मीट पर देवर्षि नारद जयंती - 2021 का आयोजन

गूगल मीट पर देवर्षि नारद जयंती - 2021 का आयोजनरांची, 27 मई : देवर्षि नारद जयंती-2021 का आयोजन विश्व संवाद केंद्र, झारखंड के द्वारा कोरोना काल को देखते हुए गूगल मीट पर किया गया । कार्यक्रम के शुरुआत में सुप्रिया भारती ने बताया कि देवर्षि नारद को पौराणिक ग्रंथों में नारद मुनि के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि नारद मुनि भगवान ब्रह्मा और ज्ञान की देवी देवी सरस्वती के सुपुत्र हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक नारद मुनि का जन्म ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष (पूर्णिमंत कैलेंडर के अनुसार) के हिंदू महीने में प्रतिपदा तिथि (पहले दिन) में हुआ था। वहीं अमावसंत कैलेंडर के अनुसार भक्त नारद जयंती प्रतिपदा तिथि, कृष्ण पक्ष वैशाख को मनाते हैं।

शशि भूषण पांडे ने बताया कि पुरातन काल में एक बार गंधर्व और अप्सराएं भगवान ब्रह्मा की उपासना कर रहे थे। उस समय गंधर्व 'उपबर्हण' (नारद जी जो पूर्व जन्म में गंधर्व थे) अप्सराओं के साथ श्रृंगार भाव में उपस्थित हुए। यह देखकर भगवान ब्रह्मा क्रोधित हुए और 'उपबर्हण' को शूद्र योनि में जन्म लेने का शाप दिया। ब्रह्मा के शाप फलस्वरूप नारद का जन्म 'शूद्रा दासी' के घर पर हुआ।

गूगल मीट पर देवर्षि नारद जयंती - 2021 का आयोजनभारत भूषण ने कहा कि उन्होंने प्रभु की भक्ति आराधना की तो उन्हें ईश्वर के एक दिन दर्शन हुए। इससे उनके मन में ईश्वर और सत्य को जानने की लालसा और जाग्रत हो गई और इसी समय आकाशवाणी हुई कि 'हे बालक, इस जन्म में अब तुम मेरे दर्शन नहीं कर पाओगे। अगले जन्म में तुम मेरे पार्षद होंगे। इसके बाद नारद ने भगवान श्रीहरि विष्णु की कठिन तपस्या की, जिसके फलस्वरूप वह कालांतर में ब्रम्हा जी के मानस पुत्र के रूप में फिर जन्म लिया।

अरुण कुमार ने कहा कि देवर्षि नारद को ब्रहामंड का पहला पत्रकार माना जाता है। ये तीनों लोको का संदेश पहुंचाया करते हैं। इन्हें ब्रह्मा जी का मानस पुत्र कहा जाता है। पौराणिक मान्‍यता यह भी है कि नारद मुनि ना केवल देवताओं, बल्कि असुरों के बीच भी आदरणीय माने गए । कार्यक्रम  के आयोजन में मुख्य रूप से उज्जवल कुमार, सावित्री कुमारी, रोबिन कुमार, सरस्वती देवी ने सहयोग किया।


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